बैलगाड़ी(bullock cart) का इस्तेमाल वैसे तो गांवो में खेती किसानी और आवाजाही के लिए किया जाता रहा हैं। और पहले जब यातायात के इतने साधन नहीं होते थे तो शादियों और बारातों में भी इसका इस्तेमाल होता था, लेकिन हाल के दिनों में शादी ब्याह में अब इसे कोई इस्तेमाल नहीं करता।
लेकिन अब एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें फिर उसी पुरानी परम्परा को जीवित करने की कोशिश की गई हैं। दरअसल, मध्यप्रदेश में नेपानगर के अंधारवाड़ी में रहने वाले एक पिता, अपनी बेटी को शादी के बाद ससुराल से बैलगाड़ी में बिठा कर लाये ,इस बहाने उन्होंने पर्यावरण सुरक्षा को लेकर एक बड़ा संदेश दिया।
अंधारवाड़ी के भागवत चौहान ने अपनी बेटी पूजा चौहान की दो दिन पहले ही संभाजी पाटणकर के बेटे शुभम पाटणकर से शादी की है। चौहान परिवार ने बेटी को ससुराल से मायके लाने के लिए बैल गाड़ी का प्रयोग करके, भारतीय परंपरागत पद्धति और संस्कृति को बचाने की पहल की।
वहीं पूजा के ससुराल वाले भी अपने समधी की ये पहले देखकर खुश हो गए। उन्होंने समधी का स्वागत किया। और खुशी खुशी अपनी बहू को विदा किया। सबने बैलगाड़ी के साथ खड़े होकर फैमली फोटो भी खिंचवायी।
दूल्हे के पिता संभाजी पाटनकर ने कहा कि इस नजारे को देख सभी आनंदित हो गए। चौहान परिवार ने एक अच्छी पहल की है। पर्यावरणविद भी इस पहल की तारीफ कर रहे हैं। उनका कहना है इससे बैलगाड़ी और बैलों के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा। पर्यावरण की रक्षा होगी। साथ ही पेट्रोल डीजल का खर्च बचेगा।
भागवत चौहान बेटी को बैलगाड़ी पर लेकर खुशी खुशी अपने घर रवाना हुए। रास्ते में जिसने भी देखा वो एक बार रुका और फिर तस्वीरें अपने मोबाइल फोन में कैद कर लीं।