महिलाओ के मुश्किल दिनों में कारगार साबित होती है ये दवा, हर साल बिकती है इतनी करोड़ टैबलेट, जाने क्या है सही डोज ?

pallavi_sharma
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चीन की एक टेनिस खिलाड़ी 19 साल की झेंग किंवेन पहली बार फ्रेंच ओपन खेलने पहुंचीं। वह चौथे राउंड में हार गईं। हारने के बाद उन्होंने कहा कि अगर वह लड़का होतीं तो शायद नहीं हारती। उनकी इस बात ने काफी सुर्खियां बटोरीं। दरअसल, उनका इशारा महिलाओं में होने वाले पीरियड्स के दर्द की ओर था। एक तरफ उनका गेम चल रहा था तो दूसरी तरफ उनका पीरियड भी। ऐसे में कई सवाल उठते हैं। क्या दर्द से राहत के लिए दवाई लेना चाहिए यदि हां तो कोण सी और कितनी आज हम आपके लिए हम लेकर आये है उन सभी सवालो के जवाब।

पेट और पीरियड दर्द से राहत देने के लिए बाजार में मेफेनामिक एसिड और डाइसिक्लोमाइन को मिलाकर बनी कई दवाइयां उपलब्ध हैं. इसी में से एक है मेफ्टल स्पास . एक रिपोर्ट के मुताबिक मेफेनामिक एसिड और डाइसिक्लोमाइन से बनी दवाइयों की हर साल करीब 180 करोड़ रुपये की बिक्री होती है. इसमें केवल मेफ्टल स्पास की बिक्री 155 करोड़ के आसपास है. मार्केट रिसर्च फर्म IQVIA की रिपोर्ट में यह बात कही गई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक हर साल इन दवाइयों की करीब 570 करोड़ गोलियां बिकती है. इसमें से केवल मेफ्टल स्पास की करीब 470 करोड़ गोलियां होती हैं. इसी से आप अनुमान लगा सकते हैं कि इस दवाई का कितना व्यापक इस्तेमाल होता है.

75 %लड़कियों को होता हैं पीरियड में दर्द

एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 100 में 75 लड़कियां ऐसी होती हैं जो पीरियड के दौरान ठीक-ठाक दर्द से गुजरती हैं. यह आंकड़ा 2015 में प्रकाशित इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मेडिकल साइंस की रिपोर्ट से सामने आया था. इसमें यह भी पाया गया था कि जिन लड़कियों की मां को पीरियड के दौरान पेन की समस्या रही थी उनमें यह दिक्कत ज्यादा थी.

5 % लड़कियां डॉक्टर के पास जाती हैं.

सामें आई रिपोर्ट्स के अनुसार केवल 5 फीसदी लड़की डॉक्टर के पास जाती है. 28 फीसदी अपना खुद से इलाज करती है. जबकि 65 फीसदी लड़कियां इस दौरान रेस्ट और घरेलू नुस्खे अपनाती हैं. इस बारे में डॉक्टरों का कहना है कि पीरियड के दौरान दर्द से गुजरने वाली 85 फीसदी लड़कियां परिवार या दोस्तों की सलाह पर मेफ्टल स्पास का सेवन करती हैं. यह दवाई भारतीय बाजार में 1981 से है. इसे फाइजर नामक कंपनी बेचती है.

ये भी हैं पीरियड के साथी

पैड्स या सैनिटरी नैपकिन

पीरियड के दौरान ब्लीडिंग को फैलने से रोकने के लिए सबसे ज्यादा इसका इस्तेमाल होता है। एक अनुमान के मुताबिक देश में 2019 तक 60 फीसदी शहरी महिलाएं और 34 फीसदी ग्रामीण महिलाएं पैड्स इस्तेमाल करती थीं, लेकिन कोरोना ने यह आंकड़ा नीचे कर दिया। अब 54 फीसदी शहरी महिलाएं और 20 फीसदी ग्रामीण महिलाएं ही पीरियड के दौरान पैड का इस्तेमाल कर रही हैं। इनका इस्तेमाल कम होने की वजह कई रही हैं, जैसे- जॉब या आमदनी में गिरावट। सच तो यह है कि जब घर में सबसे पहले किसी चीज में कटौती की जाती है तो वह अमूमन पैड ही होता है। वैसे भी महिलाएं ही ज्यादा समझौता करती हैं। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में सैनिटरी पैड्स की उपलब्धता कम होना भी अहम रहा है। फिर भी मेंस्ट्रूल हाइजीन को दुरुस्त करने में सैनिटरी पैड अब भी नंबर 1 है। एक दिन में 2 से 3 पैड का इस्तेमाल सामान्य है।

कितने डोज लेना चाहिए जानिए एक्सपर्ट क्या कहते है ?

दवाई कोई सी भी हो डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं लेनी चाहिए. लेकिन, आमतौर पर लोग डॉक् के पास जाकर फीस देने से बचने के लिए मेडिकल स्टोरों में यह दवाई ले लेते है. यह पेट में दर्द के साथ मामूली बुखार और हरारत-थकान से राहत देती है. जहां तक इसकी डोज की बात है तो आइडियल स्थिति में आपको डॉक्टर की सलाह के बिना ये दवा नहीं लेनी चाहिए. मरीज की उम्र और उसकी शारीरिक हालत के हिसाब से इसका डोज तय किया जाता है. एक सामान्य महिला एक दिन में अधिकतम तीन गोली ले सकती है. मेडिबडी डॉट इन वेबसाइट के मुताबिक इसे खाने के बाद और नॉर्मल पानी के साथ लिया जाना चाहिए. किसी भी स्थिति में मरीज को लगातार सात दिन से अधिक इस गोली का सेवन नहीं करना चाहिए. इस गोली को चबाने या टुकड़े-टुकड़े कर लेने की सलाह नहीं दी जाती. आपको कभी भी इस दवाई का डबल डोज नहीं लेना चाहिए.