ममता बनर्जी ने इस बार बंगाल में अपने जीवन का सबसे कठिन चुनाव लड़ा है। वह इस बार अजेय नहीं दिख रहीं है। खुद को स्ट्रीटफाइटर कहने वाली ममता अब हारती नजर आ रही है। इस बार बीजेपी की कड़ी टक्कर में ममता खड़ी है। बता दे, साल 2016 में बंगाल की ‘दीदी’ की अगुवाई में तृणमूल कांग्रेस ने 294 सीटों में से 211 सीटें जीतीं और विपक्ष का सफाया किया था।
वहीं 2011 में और भी अधिक बहुमत के साथ फिर से चुनी गईं। जानकारी के अनुसार, इस बार भाजपा ने ‘परिवर्तन’ का नारा दिया है। भाजपा ने इस चुनाव में ‘असोल परिवर्तन’ का नारा दिया है। जैसा की आप सभी जानते है पिछले एक साल में टीएमसी और ममता ने अपने कई करीबी सहयोगियों को खो दिया है। टीएमसी के कई बड़े नेता बीजेपी में शामिल हुए है।
ऐसे में टीएमसी और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। लगातार सीटों में उतर चढाव देखने को हमें मिल रहा है। ममता का सबसे बड़ा नुकसान शुवेन्दु अधिकारी को खोना रहा है। ये अब ममता का सबसे बड़ा ‘दुश्मन’ है। दरअसल, दोनों नंदीग्राम में प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार हैं। इन दोनों ने ही 15 साल पहले एक साथ प्रचार किया था। जिसके बाद अब शुभेंदु बीजेपी में शामिल हो गए है और ममता को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।