ये है दुनिया का ऐसा इकलौता गांव, जहां कभी नहीं बरसते बादल, जानें यहां बारिश न होने की असली वजह

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भारत के मेघालय में मौसिनराम गांव में दुनिया की सबसे ज्यादा बारिश होती है। वहीं, लेह देश की सबसे कम बारिश वाली जगह है। यहां वार्षिक तौर पर 9.20 सेमी बारिश दाखिल की जाती है। केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख की राजधानी और सबसे बड़ा शहर लेह ही है लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया में वो कौन-सी एक ऐसी जगह है, जहां कभी वर्षा होती ही नहीं है। आज हम आपको यहां बताने जा रहे हैं। एक ऐसे ही गांव के विषय में विस्तार से। ये ही नहीं, इस गांव में कभी वर्षा न होने की वजह भी काफी रोचक है।

 अगर आपसे ये सवाल पूछा जाए कि दुनिया में वो कौन-सी जगह है, जहां कभी बारिश नहीं होती है. ऐसे में सबसे पहले आपके दिमाग में आएगा कि ये जगह पक्‍का किसी रेगिस्‍तान में होगी. लेकिन, ऐसा बिलकुल नहीं है. दुनिया में कभी बारिश नहीं होने वाला गांव एक खुबसूरत पहाड़ी पर बसा है. ये गांव यमन की राजधानी सना के पश्चिम में मनख के निदेशालय के हरज क्षेत्र में 'अल-हुतैग गांव' है.

यदि आपसे ये प्रश्न पूछा जाए कि दुनिया में वो कौन-सी एक जगह है, जहां कभी वर्षा होती ही नहीं है। ऐसे में सबसे पहले आपके मस्तिष्क में आएगा कि ये जगह पक्‍का किसी रेगिस्‍तान में ही होगी लेकिन, ऐसा कदापि नहीं है। दुनिया में कभी भी बारिश नहीं होने वाला गांव एक सुन्दर पहाड़ी पर बसा है। ये गांव यमन (Yemen) की राजधानी सना के पश्चिम में मनख के निदेशालय के हरज क्षेत्र में ‘अल-हुतैग गांव’ है।

 अल-हुतैब गांव समुद्र की सतह से 3,200 मीटर ऊंचाई पर है. ये काफी गर्म इलाका है. यहां सर्दियों में सुबह के समय कड़ाके की ठंड पड़ती है. हालत ये होती है कि सुबह के समय बिना गरम कपड़े पहने कोई घर से बाहर नहीं निकल सकता. घर में भी लोग रजाई में छिपे बैठे रहते हैं. लेकिन, जब सूरज सिर पर पहुंचता है तो ठंड ऐसे गायब हो जाती है जैसे गर्मी का मौसम हो. लोगों को भयंकर गर्मी के कारण बार-बार प्‍यास लगती है.

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अल-हुतैब गांव समुद्र की सरफेस से 3,200 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। ये काफी गर्म इलाका है। यहां सर्दियों में सुबह के समय कड़ाके की ठंड पड़ती है। हालात ये होते है कि सुबह के वक्त बिना गरम कपड़े पहने कोई घर से बाहर नहीं निकल सकता। घर में भी लोग रजाई में छिपे बैठे रहते हैं। लेकिन, जब सूरज सिर पर पहुंचता है तो ठंड ऐसे छिप जाती हो जैसे गर्मी का मौसम हो। लोगों को भयंकर गर्मी के कारण बार-बार पानी प्‍यास लगने लगती है।

 यमन के अल-हुतैब गांव की ख्‍याति दूर-दूर तक है. इस गांव को इतना शानदार तरीके से बसाया गया है कि पर्यटक हमेशा यहां आते रहते हैं. ये गांव एक पहाड़ी की चोटी पर बसा है. ऐसे में नीचे का नजारा आंखों को काफी सुकून देने वाला होता है. वहीं, गांव के घर भी काफी खुबसूरत हैं. इस गांव में यमनी समुदाय के लोग रहते हैं. अब सवाल ये उठता है कि पहाड़ी पर बसे हुए इस गांव में बारिश क्‍यों नहीं होती है?

यमन के अल-हुतैब गांव की प्रसिद्धि दूर-दूर तक है। इस गांव को इतने जबरदस्त तरीके से बसाया गया है कि टूरिस्ट हमेशा यहां घूमने के लिए आते रहते हैं। ये गांव एक पहाड़ी की चोटी पर बसा है। ऐसे में नीचे का नजारा आंखों को बड़ा ही सुकून देने वाला होता है। वहीं, गांव के घर भी काफी सुन्दर होते हैं। इस गांव में यमनी संप्रदाय के लोग रहते हैं। अब प्रश्न ये उठता है कि पहाड़ी पर बसे हुए इस गांव में बारिश क्‍यों नहीं होती है?

 ये खुबसूरत गांव पहाड़ी की चोटी पर बसे होने के कारण बादलों से हमेशा ऊपर रहता है. दूसरे शब्‍दों में कहें तो बादल इस गांव के काफी नीचे दिखाई देते हैं. इससे लोगों को ऐसा लगता है कि वे स्‍वर्ग में रह रहे हैं, लेकिन यही खुबसूरती इस गांव में कभी बारिश नहीं होने की वजह भी है. बादल इस गांव के नीचे बनते हैं और नीचे ही बारिश कर देते हैं. इससे इस गांव को कभी बारियश की एक बूंद भी नहीं मिलती है.

ये सुन्दर गांव पहाड़ी की चोटी पर बसे होने के कारण बादलों से हमेशा ऊपर रहता है। दूसरी भाषा में कहें तो बादल इस गांव के काफी नीचे दिखाई देते हैं। इससे लोगों को ऐसा लगता है कि वे स्‍वर्ग में रह रहे हैं, लेकिन यही सुंदरता इस गांव में कभी बारिश नहीं होने की वजह भी है। बादल इस गांव के नीचे बनते हैं और नीचे ही वर्षा कर देते हैं। इससे इस गांव को कभी बरसात की एक बूंद भी नहीं मिलती है।

 अल-हुतैब गांव ग्रामीण और शहरी विशेषताओं के साथ प्राचीन व आधुनिक वास्तुकला दोनों को जोड़ता है. इस गांव में ज्‍यादातर लोग 'अल-बोहरा या अल-मुकरमा' समुदाय से जुड़े हैं. इनको यमनी समुदाय कहा जाता है. ये मुहम्मद बुरहानुद्दीन के नेतृत्व वाले मुस्लिम संप्रदाय से संबंध रखते हैं. इस संप्रदाय के लोग मुंबई में भी रहते थे.

अल-हुतैब गांव ग्रामीण और शहरी विशेषताओं के साथ प्राचीन व आधुनिक वास्तुकला दोनों को जोड़ता है। इस गांव में अधिकतर लोग ‘अल-बोहरा या अल-मुकरमा’ संप्रदाय से जुड़े हैं। इनको यमनी समुदाय कहा जाता है। ये मुहम्मद बुरहानुद्दीन के अगुआई वाले मुस्लिम मज़हब से ताल्लुक रखते हैं। इस कम्युनिटी के लोग मुंबई में भी रहते थे।

 यमन के अल-हुतैब गांव को देखने के लिए हर साल हजारों सैलानी पहुंचते हैं. इस गांव में बने घरों की बसावट और बनावट लोगों को अपनी ओर खींचती है. वहीं, गांव के नीचे बनते-बरसते बादलों को देखने के लिए काफी लोग हर साल अल-हुतैब गांव पहुंचते हैं.

यमन के अल-हुतैब गांव को देखने के लिए हर वर्ष हजारों टूरिस्ट यहां पहुंचते हैं। इस गांव में बने घरों की बसावट और बनावट लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। वहीं, गांव के नीचे बनते-बरसते बादलों को देखने के लिए काफी लोग हर वर्ष अल-हुतैब गांव पहुंचते हैं।