यह लोकतंत्र के भगवाकरण का भाजपाई अभियान है..!

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महेश दीक्षित

(शीर्षक पढ़कर कुछ अंध भक्तों को आपत्ति हो सकती है…लेकिन कदाचित एक सच्चे नागरिक की दृष्टि से देखेंगे…चिंतन करेंगे… तो पाएंगे कि भारतीय जनता पार्टी पिछले एक दशक से कुछ इसी तरह के अभियान पर है।)

मध्यप्रदेश में विधानसभा की 26 सीटों पर आने वाले दिनों में उपचुनाव होने हैं…इनमें से 16 सीटें ग्वालियर-चंबल संभाग की हैं…हाल ही में भाजपा ने कोरोना काल में लाक डाउन और सोशल डिस्टेसिंग की गाइड लाइन के बीच ग्वालियर में तीन दिनों तक महा सदस्यता अभियान चलाया…जिसमें भाजपा 76 हजार से ज्यादा कांग्रेस कार्यकत्ताओं के भाजपाईकरण करने का दावा कर रही है। भाजपा के इन दावों में कितनी सच्चाई है, यह तो भाजपा जाने। लेकिन, भाजपा के इन सदस्यता के आंकड़ों को सुनकर कांग्रेस के पेट में दर्द हो रहा है। वो भाजपा के आंकड़ों फर्जी बता रही है। कांग्रेस का कहना है कि, यदि वाकई इतनी बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पांच महीने पहले भाजपाई संस्कारों से संस्कारित हुए श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया के मोहपाश में अपना भाजपाईकरण कराना स्वीकार किया है। गांधी की विचारधारा से विमुख हो, पं दीनदयाल उपाध्याय शरणम गच्छामि होने का संकल्प लिया है, तो इन दल-बदलुओं के नाम भाजपा को बताना चाहिए।

खैर, भाजपा इन कनवर्ट भाजपाईयों के नाम कांग्रेस को बताए, न बताए यह उसकी मर्जी है। वह इसके लिए बाध्य भी नहीं है। न ऐसा लिखित-अलिखित कोई संविधान है, जिसके अनुपालन में इन दल-बदलुओं के नाम उजागर करने के लिए भाजपा को बाध्य किया जा सके। पर, भाजपा के इस व्यापक सदस्यता अभियान से यह तो साफ है कि, इसके पीछे भाजपा का कोई सोचा-समझा एजेंडा जरूर है। वर्ना क्या वजह है कि दुनिया की सबसे पार्टी हो जाने और 19 करोड़ लोगों ( भारत की कुल आबादी के 3 फीसदी लोग) को अपना रजिस्टर्ड कार्यकर्ता बना लेने के बावजूद भाजपा का सदस्यता अभियान थम नहीं रहा है।

निश्चित रूप से अधिसंख्य सदस्य और देश के अंतिम छोर तक विस्तार किसी भी राजनीतिक दल का ध्येय होना चाहिए। लेकिन, ऐसा विस्तार जो देश के लोकतांत्रिक ढांचे को तहस-नहस और नागरिक को उसके नागरिक होने के अधिकार से वंचित करता दिखाई दे, देश के लिए बेजा घातक है। लोकतंत्र का बधियाकरण करने जैसा है। क्या यह सही नहीं कि, इस व्यापक सदस्यता अभियान के पीछे भाजपा और उसके अलंबरदारों का सोचा-समझा एजेंडा देश में ऐसा वातावरण निर्मित करना है, जिससे कि जनता में कांग्रेस या दूसरे दलों के प्रति बची-खुची जो संवेदनाएं हैं, उन्हें खत्म कर दिया जाए…और कांग्रेस पार्टी के भीतर नैराश्य एवं भय का वो माहौल पैदा किया जाए, जिसमें कांग्रेसी अपने वजूद को बचाने के लिए खुद-व-खुद भाजपा में शरणागत होने को मजबूर हो जाएं। भाजपा इस सिद्धि को पाने में काफी हद तक सफल भी हो रही है। शायद इसीलिए भाजपा के अलंबरदार अब बड़े कांफीडेंस में कहने भी लगे हैं कि, कांग्रेस में भगदड़ मची हुई है। कांग्रेस अब खत्म होने की कगार पर है। हालांकि अपनी घटती लोकप्रियता और सिमटते वजूद के लिए कांग्रेस खुद भी जिम्मेदार है। उसे चिंतन-मंथन करना चाहिए कि, जो कांग्रेस दल 70 साल पहले तक देश की आजादी के लिए पवित्र वैचारिक आंदोलन थी, वह इतने सालों में किनके पापों से राजनीति का दल-दल बन गया।

पर, क्या इस सदस्यता अभियान के प्रोपेगंडा के पीछे भाजपा का अप्रत्यक्ष एक और राजनीतिक एजेंडा नहीं है कि, देश के प्रत्येक नागरिक का भाजपाईकरण कर दिया जाए… उसे कार्यकर्ता में तब्दील कर दिया जाए… उसे सवाल पूछने और सवाल करने के मौलिक अधिकार से वंचित कर दिया जाए। विस्तारवाद के साथ सोवियत संघ और चीन की तरह विपक्ष विहीन एकल पार्टी (भाजपा) शासन प्रणाली व्यवस्था को देश पर थोप दिया जाए। ताकि सौ-दो सौ साल तक, जितने साल तक मर्जी है, जनता की पीठ पर बैठकर जैसे चाहो देश को हांका जा सके। स्वभाविक है जब देश में सब नागरिक, भाजपाई हो जाएंगे, तो न कांग्रेस बचेगी…और न ही लोकतंत्र बचेगा और न गलत को गलत, सही को सही कहने वाले बचेंगे…आंख, कान, मुंह और विचारों पर लाल बत्ती लगाकर जीना इस देश के लोगों की मजबूरी होगी… ।