यह किसी पक्ष की जीत नहीं, सिर्फ निष्पक्षता की जीत : ‘कृषि कानून’ पर SC के अहम कमेंट्स 

Ayushi
Published on:
Suprime Court

नई दिल्ली: देश में बीते कई महीनो से केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के मुद्दे को लेकर सरकार और किसान के बीच विवाद जारी है,जिसके चलते बहुत सी बैठके भी सम्पन्न लेकिन इसका कोई हल सामने नहीं आया और इसके बाद इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट को सौप को दिया गया। इसी कड़ी में किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर आज सुनवाई जारी है और सुप्रीम कोर्ट ने अपना बड़ा फैसला सुनते हुए फिलहाल तीनों कृषि कानूनों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक कृषी कानूनों पर रोक लगने के साथ ही एक समिति का भी गठन किया है, जो कि एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की बेंच सुनवाई कर रही है और सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा की इस समस्या का समाधान अति आवश्यक है और इसके लिए एक कमेटी का गठन जरुरी है। भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा है कि हम अंतरिम आदेश देंगे और भरोसा दिलाते है कसी भी किसान की जमीन नहीं बिकेगी, हर समस्या का समाधान संभव है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस समिति गठन इसलिए किया है क्योंकि जो लोग वास्तव में इस समस्या का समाधान चाहते है वे इस कमेटी के पास जा सकते है जिसके बाद पुरे रिपोर्ट हमे कमेटी ही देगी और इस कमेटी के समक्ष कोई भी जा सकता हैं इसलिए समिति का गठन चाहते हैं। साथ ही मुख्य न्यायधीश ने कहां है कि कल किसानों के वकील दवे ने भी यह कहा कि किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली नहीं निकालेंगे और किसान कमेटी के समक्ष पेश नहीं होंगे, हम हम चाहते है कि कोई जानकार व्यक्ति (कमेटी) किसानों से मिले और पॉइंट के हिसाब से बहस करें कि दिक्कत कहां है.

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी ताकत हमें कृषि कानूनों के गुण और दोष के मूल्यांकन के लिए एक समिति गठित करने से नहीं रोक सकती है, यह न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा होगी, समिति यह बताएगी कि किन प्रावधानों को हटाया जाना चाहिए, फिर वो कानूनों से निपटेगा. मुख्यन्यायधीश ने कहा कि हम कानून को सस्पेंड करना चाहते हैं लेकिन सशर्त , हालांकि, अनिश्चितकाल के लिए नहीं। और कहा कि हम प्रधानमंत्री से कुछ नहीं कह सकते हैं. प्रधानमंत्री इस केस में पक्षकार नहीं हैं. उनके लिए हम कुछ नहीं कहेंगे. यह राजनीति नहीं है. राजनीति और न्यायपालिका में अंतर है और आपको सहयोग करना होगा।