इसे कहते हैं अल्टीमेट बेइज्जती

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नरेंद्र भाले

हवेली बता रही है कि इमारत कभी बुलंद भी थी। उपरोक्त जुमला धोनी की बर्बादी को दर्शाने के लिए पर्याप्त है। अपने चरम पर जिसने सौरव गांगुली , राहुल द्रविड़ , वीवीएस लक्ष्मण और नजफगढ़ के सुल्तान वीरेंद्र सहभाग को जिस अंदाज में घर बैठने के लिए मजबूर कर दिया वह अपनी करने की वजह से ही आज खून के आंसू रो रहा है। कहते हैं कि जिसकी चलती है उसी के दुकान पर मोमबत्ती जलती है। अपवाद सचिन थे जिनके आभामंडल में धोनी की एक न चली तथा वह बंदा अपने ही अंदाज में क्रिकेट को अलविदा कह गया। अन्यथा उपरोक्त चारों को ये लम्हा भी नसीब नहीं हुआ, जिसके वे सच्चे हकदार थे।

आज भी वह मंजर चलचित्र के मानिंद आंखों के सामने घुमता है जब अपने विदाई टेस्ट में सचिन को वेस्टइंडीज के कप्तान डेरेन सैमी ने स्लिप में लपक लिया था। यकीन मानो अपने विदाई टेस्ट में सचिन को भी इतना अफसोस नहीं हुआ था जितना खुद सैमी को कैच पकड़कर ,उन्हें शतक से वंचित करने के पश्चात। यह इतिहास हो गया लेकिन वर्तमान की बात करें तो चला चली की बेला में धोनी की बातों में या चेहरे पर शर्मनाक पराजय की शिकन तक नहीं थी। किसी शायर ने फरमाया था कि वह आए खुदा की कुदरत है , कभी हम उनको तो कभी अपने आप को देखते हैं। यह बंदा तो लजवाने के पश्चात मगरमच्छ के आंसू रो रहा है जबकि आंखों में शर्म में आंसू की एक भी बूदं नहीं थी।

खैर यहां तो धोनी के हिमायतीओ की बात हो गई अब असल मुद्दे पर आते हैं। कार्यवाहक कप्तान पोलार्ड के न्यौते पर चेन्नई मैदान में उतरी और बोल्ट – बुमराह हॉरर शो के आंखें फाड़कर नजारे देखने लगी। आत्मविश्वास से पूरी तरह मार खाए हुए ऋतुराज गायकवाड को बलि के बकरे के रूप में डुप्लेसिस के साथ मैदान में उतार दिया। बोल्ट खुन्नस में थे क्योंकि पिछले मैच में हुई शर्मनाक बेज्जती को भूले नहीं थे। ऋतुराज गायकवाड डुप्लेसिस ,रायडू ,जगदीश और जडेजा इस अंदाज में डग आउट में जमा हो गए मानो वह मैदान पर उतरे ही नहीं थे।

पावर प्ले में 24/5 की दयनीय स्थिति बोल्ट – बुमराह ने कर दी। 1 छक्का खाकर राहुल चाहत ने धोनी (16) को भी लपेट दिया। भला हो हड़प्पा की खुदाई से निकले पिछले आईपीएल के पर्पल कैप धारी इमरान ताहिर नाबाद (13) और शार्दूल ठाकुर (11) का जिन्होंने चेन्नई के चीरहरण में पर्दे का काम करने की असफल कोशिश की। प्रभावित किया युवा सैम करेन ने जिन्होंने लौंग हैंडल के साथ – साथ संयम का भी प्रदर्शन कर चेन्नई को 100 के पार पहुंचाया। शारजाह का छोटा सा मैदान सैम करेन (2) तथा धोनी (1) छक्के के अलावा बल्लेबाजो की बर्बादी की दास्तान सुनाने के लिए पर्याप्त है।

भड़के हुए बोल्ट ने कुल 4 शिकार किए। वह तो करेन ने बोल्ड होने से पूर्व उन्हें तीन चौके जड़ दिए अन्यथा उनका गेंदबाजी विश्लेषण होता 4-1-8-4। केवल क्रुणाल खाली हाथ रहे अन्यथा सभी गेंदबाजों ने बाकायदा हांका लगा कर शिकार किए। पलटवार में ऐसा नजारा देखने को मिला जिसे कोई भी गेंदबाज देखना ही नहीं चाहेगा। ईशान किशन (नाबाद 68) 6 चौके, 5 छक्के और क्विंटन डिकॉक (नाबाद 46) 5 चौके ,2 छक्के ने गेंदबाज ही नहीं धोनी की भी नाक रगड़ कर 10 विकेट की अफलातून जीत का कार्यवाहक कप्तान पोलार्ड को तोहफा दिया।ईशान किशन ने जडेजा को जो रिवर्स स्वीप में छक्का लगाया वो आंखों के लिए दर्शनीय दावत थी।

यहां डिकॉक का विशेष उल्लेख नहीं करना उनके साथ ज्यादती होगी। पूर्व में बंदे ने विकेट के पीछे 3 कैच तो लपके ही एक स्टंपिंग कर अपने हरफनमौला होने का सबूत भी दिया। विशेष रूप से धोनी का कैच उस नाजुक अंदाज में पकड़ा मानों कोई बंदा बेहद मुलायम दस्तानों से तितली पकड़ रहा हो। धोनी यदि बेज्जती का पैमाना पूरी तरह भर गया हो तो अब बस भी करो महाराज। टीम के साथ साथ आप कुछ भी भेला करने की मानसिक स्थिति में नहीं हो। कोई कुछ भी कहे मेरी राय में आपका ऐसा समय आया नहीं है बल्कि अपनी हरकतों से आप खुद ही लाए हैं। अब कोई कुछ भी कहे ,कम से कम चेन्नई में तो इस साल दशहरा मातमी सूरत में ही मनाया जाएगा।