ये लड़ाई अहंकारी व्यापारी से है ,योग और आयुर्वेद से नहीं

Mohit
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-डॉ राज शेखर यादव

बाबा रामदेव का बचाव करने के लिए जिस तरह इस विवाद को धर्म और राष्ट्रवाद का रंग दिया जा रहा है वो दुखद है ।जिस तरह इसे आयुर्वेद बनाम एलोपैथी बनाने के कुत्सित प्रयास हो रहे हैं वो भी दुखद है ।आयुर्वेद और एलोपैथी तो एक मंज़िल तक पहुँचाने वाले दो अलग अलग मार्ग हैं । ये लड़ाई आयुर्वेद के ख़िलाफ़ नहीं है ।

ये लड़ाई उस योग गुरु रामदेव के ख़िलाफ़ भी नहीं है जिसने योग को विश्व के कौने -कौने तक पहुँचाया है।
ये लड़ाई संत का वेश धारण किए एक ऐसे अहंकारी व्यापारी के विरुद्ध है जो अपना समान बेचने के लिए किसी अन्य पद्धति को बदनाम कर रहा है ।ये लड़ाई आठवीं पास उस क्वैक के ख़िलाफ़ है जिसने न आयुर्वेद की पढ़ाई की है ,न एलोपैथी की लेकिन ज्ञान दोनों का देता हैं ।ये लड़ाई अहंकार में चूर उस अति महत्वकांक्षी ,बडबौले व्यक्ति से है जिसे इस देश के एक हज़ार चिकित्सकों का बलिदान हास्य का विषय लगता है ।

ये लड़ाई उस व्यापारी से है जिसे देश के कौने कौने में मर खप रहे कोरोना वॉरीअर्ज़ का संघर्ष व्यर्थ लगता है ।
युद्धों में हार जीत होती रहती है लेकिन सैनिकों के बलिदान को हर राष्ट्र सदैव याद रखता है , उनका सम्मान करता है ।
क्या इस देश को अपने स्वास्थ्य सैनिकों के बलिदान का उपहास करने वाले व्यक्ति को आसानी से माफ़ कर देना चाहिए ?
हर चिकित्सा पद्धति की अपनी सीमाएँ होती हैं और किसी भी पद्धति का कोई भी प्रशिक्षित चिकित्सक कभी छोटी से छोटी बीमारी तक के सौ फ़ीसदी इलाज का दावा नहीं करेगा ।माडर्न मेडिसिन का चिकित्सक होने के नाते कम से कम मैं माडर्न मेडिसिन के बारे में ये बात दावे के साथ कह सकता हूँ ।बाबा के पास कोई ऐसी जड़ी बूटी या दवा है जो कोविद का सौ फ़ीसदी सफल इलाज कर सकती है और वैक्सीन से भी अधिक प्रभावी है तो वे अवश्य बताएँ ।

बाबा रामदेव को देश को आज बताना होगा कोविद के कितने गम्भीर रोगियों को उन्होंने उस दवा से स्वस्थ किया ।और यदि उनकी बात में ज़रा भी सच्चाई है तो बन्द करो ये सरकारी कोविद अस्पताल ,उठाकर फेंक दो ये वेंटिलेटर ,बाईपैप और ऑक्सिजन सिलेंडर।आग लगा दो रेमदेसेविर ,covishield और स्टेरॉड्ज़ को ।

आज मैं बाबा रामदेव से नहीं बल्कि देश के प्रधानमंत्री ,स्वास्थ्य मंत्री औरआईसीएमआर से पूछना चाहता हूँ,जब हमारे पास रामदेव जैसा अद्भुत चिकित्सक और कोरोनिल जैसी अद्वितीय दवा थी तो क्यों इस देश की गरीब जनता को उन चोर ,लुटेरे माडर्न मेडिसिन के डॉक्टर्ज़ के हवाले किया गया ? सरकार के सामने तो आयुर्वेद और एलोपैथी दोनो के विकल्प थे फ़िर सरकार ने एलोपैथी को ही कोविद युद्ध के लिए क्यों चुना?

प्रधानमंत्री जी ,विश्व को कोविद के क़हर से अभी मुक्ति नहीं मिली है । Mucormycosis का क़हर तो चरम पर है ।आपसे करबद्ध निवेदन है कि आज ,इसी वक्त कोविद और म्युक़र के इलाज की कमान बाबा को सोप दीजिए ।इस देश पर आपका इस से बड़ा अहसान दूसरा नहीं होगा ।
कम से कम हम माडर्न मेडिसिन वाले तो आपका ये उपकार कभी नहीं भूलेंगे ।