कजरी तीज पर बन रहा ये शुभ संयोग, जानें मुहूर्त व्रत विधि और महत्व

Pinal Patidar
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गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले आने वाली हरतालिका तीज की महिमा सब जानते हैं। ऐसी ही एक तीज और है कजरी तीज. ये तीज राखी के दो दिन बाद मनाई जाती है। इस तीज के बहुत से और नाम भी हैं. कुछ अंचलों में इसे बूढ़ी तीज कहा जाता है। कुछ जगह पर ये कजली तीज के नाम से ही प्रसिद्ध है।

कुछ स्थानों पर इस तीज पर सत्तू का प्रसाद चढ़ाने की परंपरा है। इसलिए इसे सातुड़ी तीज भी कहा जाता है। इस दिन सुहागनें उपवास रखकर भगवान शिव और माता पार्वती से पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। मान्यता है कि जिस कुंवारी कन्या का विवाह न हो रहा हो वो मनचाहे वर के लिए व्रत रखती हैं।

Kajari Teej 2020 Timing: 6 अगस्त को मनाई जाएगी कजरी तीज, जानें शुभ मुहूर्त  और पूजा विधि - Kajarfi teej date and timing know subh muhurat and puja  vidhi - Latest News

पूजन करने के लिए मिट्टी व गोबर से दीवार के किनारे तालाब के जैसी आकृति बनाई जाती है। घी और गुड़ से पाल बांधा जाता है और उसके पास नीम की टहनी को रोपा जाता है। जो तालाब के जैसी आकृति बनाई जाती है। उसमें कच्चा दूध और जल डाला जाता है। फिर दिया प्रज्वलित किया जाता है। थाली में नींबू, ककड़ी, केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली, अक्षत आदि पूजा सामाग्री रखी जाती है।

सबसे पहले पूजा की शुरूआत नीमड़ी माता को जल व रोली के छींटे देने से करें। फिर अक्षत चढ़ाएं। अनामिका उंगली से नीमड़ी माता के पीछे दीवार पर मेहंदी, रोली की 13 बिंदिया लगाएं। साथ ही काजल की 13 बिंदी भी लगाएं, काजल की बिंदियां तर्जनी उंगली से लगाएं।
नीमड़ी माता को मोली चढ़ाएं और उसके बाद मेहंदी, काजल और वस्त्र भी अर्पित करें। फिर उसके बाद जो भी चीजें आपने माता को अर्पित की हैं, उसका प्रतिबिंब तालाब के दूध और जल में देखें। तत्पश्चात गहनों और साड़ी के पल्ले आदि का प्रतिबिंब भी देखें।

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कजरी तीज पर संध्या को पूजा करने के बाद चंद्रमा को अर्ध्य दिया जाता है। फिर उन्हें भी रोली, अक्षत और मौली अर्पित करें। चांदी की अंगूठी और गेंहू के दानों को हाथ में लेकर चंद्रमा के अर्ध्य देते हुए अपने स्थान पर खड़े होकर परिक्रमा करें।

शुभ मुहूर्त और विशेष संयोगः
कजरी तीज की तिथि 24 अगस्त को शाम 4 बजकर 5 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानि 25 अगस्त की शाम 4 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी.

इस बार कजरी तीज पर धृति योग बन रहा है। ये बेहद शुभ योग माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि धृति योग में किए गए सारे कार्य पूरे होते हैं। सुबह 5 बजकर 57 मिनट तक ये योग रहेगा।