यह लेख #vikash_Mishra जी की वाॅल से है।
आजतक के दफ्तर में मेरी सीट से करीब 10 फीट दूर वाली टेबल पर बाईं तरफ पानी की बोतल रखी है, उसी के बगल में कॉफी का मग रखा है। सामने प्लग में मोबाइल का चार्जर लगा हुआ है। ऊपर शीशे जड़ा फ्रेम है, जिसमें गीता की लाइनें लिखी हैं- यदा यदा ही धर्मस्य, ग्लानिर्भवति भारत…..। ये हमारे साथी रोहित सरदाना की टेबल है, जिस पर रखा कंप्यूटर ऑन तो है, बस लॉगिन आईडी और पासवर्ड डालते ही शुरू हो जाएगा, लेकिन कैसे…? रोहित तो हैं ही नहीं, सब कुछ अधूरा छोड़कर चले गए रोहित सरदाना।आंखों के आगे रोहित का मुस्कुराता हुआ चेहरा दिखाई दे रहा है। मैं अपने सिस्टम पर बैठा रोहित के बारे में लिख रहा हूं, ऐसा लग रहा है, जैसे हमेशा की तरह अभी पीछे से आकर रोहित कहेंगे-कैसे हैं विकास जी..। और मैं कहूंगा-बहुत बढ़िया। ये हमारा रोज का अभिवादन था। रोहित जी न्यूज से आए थे। लेकिन पता ही नहीं चला कि इतनी जल्दी कैसे आजतक वाले हो गए। एक नाता तो पहले से था। उनकी पत्नी प्रमिला हमारी साथी थी, लेकिन रोहित के आने से पहले उसने आजतक छोड़ दिया था।
बहुत जल्दी ही रोहित से अच्छी जम गई थी, मिजाज मिल गया था। व्हाट्सएप पर चुटकुलों का आदान प्रदान चलता रहता था। रोहित मददगार थे, दिलदार थे। पहल करके मदद करने वालों में से थे। मुझे याद है मैं गोवा जा रहा था। रोहित चाहते थे कि मैं वहां के सबसे बढ़िया होटल में रुकूं, जहां वे रुके थे, बल्कि उस सुईट में भी, जिसमें वो ठहरे थे।
दफ्तर में कामकाज के दौरान अच्छी चकल्लस हुआ करती थी। एक रोज सईद अंसारी के लिए वे लाल रंग का ऊंचे ब्रांड का जूता ले आए। सईद भाई के पैर में वो आया नहीं, क्योंकि सईद भाई के पैर का नंबर 9 था और जूता था 8 नंबर का। फिर ये हुआ कि विकास जी आप नापें। मैंने नापा, जूता फिट आ गया। रोहित बोले-अब ये आपका हुआ। जूता लेकर मैं आ गया, इस घटना के दो साल हो गए, जूता अभी भी नहीं पहना है। ओह, अब उसे पहनने की सोचूंगा भी तो रोहित की यादें रुलाएंगी। रोहित के शो का नाम था ‘दंगल’। बाकायदा उसमें दंगल ही होती थी। रोहित कभी बेबाकी से ऊंची आवाज में सवाल पूछते थे तो कभी मुस्कुराते हुए कटाक्ष मारते थे, लेकिन शो से बाहर आने के बाद वे बिल्कुल अलग थे। मधुर आवाज, मुस्कुराता हुआ चेहरा। बेहद जमीनी शख्सियत थी उनकी।
42 साल…। सिर्फ 42 साल की उम्र थी रोहित की। दो छोटी छोटी बेटियां हैं। एक 10 साल की, दूसरी पांच-छह साल की। घर में धमाचौकड़ी मचाने वाली बेटियां। कई बार उनके स्टंट का वीडियो प्रमिला पोस्ट करती थी, मैं डरता था कि कहीं बच्चों को चोट न लग जाए। प्रमिला कहती-निश्चिंत रहिए, ये एक्सपर्ट हैं। पता चला कि रोहित खुद चाहते थे कि उनकी बेटियां जिमनास्ट बनें। दोनों बेटियां रोहित की दोनों आंखें थीं। रोहित के जाने का विछोह प्रमिला कैसे सह पाएगी, कैसे सह पाएंगी दोनों बेटियां, सोचता हूं तो ऐसा लगता है जैसे कलेजा फट जाएगा।
मैं रोजाना करीब 2 घंटे कोरोना पीड़ितों से फोन पर बात करता हूं। कल रात 12 बजे ख्याल आया कि बहुत दिनों से रोहित से बात नहीं हुई, व्हाट्सएप पर कुछ आदान-प्रदान नहीं हुआ। रात काफी हो गई थी। सोचा कि सुबह उठते ही फोन करूंगा। साढ़े नौ बजे फोन किया। फोन बिजी था। 10 बजकर 32 मिनट पर फिर फोन किया, पूरी रिंग गई, फोन उठा नहीं। करीब 12 बजे खबर आई कि रोहित नहीं रहे। यकीन ही नहीं हुआ।
इसके बाद लगातार फोन बजने लगा, लोग कन्फर्म करना चाहते थे। उन्हें बता रहा था, सिर धुन रहा था। आंखों के आगे जैसे अंधेरा छा रहा था। पहली बार कोरोना से डर लग रहा था । पहली बार लग रहा था कि कभी भी मौत आ सकती है। जब रोहित जैसा जांबाज जिंदगी की ‘दंगल’ हार सकता है तो ये किसी के साथ कभी भी हो सकता है।
आज दफ्तर पहुंचा तो इम्तिहान की घड़ी थी। रोहित के निधन पर पहला पैकेज मुझे ही लिखना था। 15 मिनट तक कंप्यूटर के सामने यूं ही बैठा रहा, एक भी शब्द नहीं लिखा गया। लेकिन कर्म की गति कठोर है। लिखना ही था। रोहित के न रहने की बात लिखते हुए हाथ कांप रहे थे। आंखें भर आ रही थीं, गला रुंध रहा था। बार-बार बाईं तरफ नजरें चली जाती थीं, जहां रोहित बैठा करते थे। रोहित ने कई बार वीकली ऑफ में घर बुलाया, लेकिन साल भर से तो मामला कोरोना की वजह से टलता रहा। वो घड़ी नहीं आ पाई। रोहित भाई, अब वहीं मुलाकात होगी, जहां आप पहले पहुंच गए हो।
रोहित का निधन हम सब के लिए बहुत बड़ा सदमा है। ईश्वर से प्रार्थना है कि उनके परिवार को इससे उबरने की क्षमता दे। उनकी बेटियों को पिता का सपना पूरा करने का साहस दे। मैंने सोशल मीडिया पर देखा है कि कुछ लोग रोहित सरदाना के निधन पर खुशियां मना रहे हैं। मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि उन्हें कुछ न कहें। बस ये सोचकर नजरअंदाज कर दें कि ऐसे लोग हरामजादे थे, हरामजादे हैं और हरामजादे ही रहेंगे। रहा सवाल रोहित का तो वे करोड़ों देशवासियों के दिलों में सदियों तक धड़कते रहेंगे।
#कोरोना #नमन