इस 11वीं के छात्र ने बनाई एक ऐसी मशीन जो बदल देगी किसानों की तकदीर, IIM करेगा बच्चे को सम्मानित

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पसीने की स्याही से जो लिखते हैं अपने इरादों को, उनकी किस्मत के पन्ने कभी कोरे नहीं करते कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो उम्र मायने नहीं रखती है। छोटी उम्र में अगर सही शिक्षा के साथ-साथ सही माहौल और मार्गदर्शन मिले तो देश-दुनिया का नाम रोशन करने में देर नहीं लगती। उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर जिले के छात्र ओनम सिंह ने सब्जी धोने की खास मशीन का अविष्कार कर कुछ ऐसा ही किया है। इस मशीन से न सिर्फ समय की बचत होगी, बल्कि पानी की बर्बादी को भी कम किया जा सकेगा।

दोस्त से मिली प्रेरणा

जिले के गुरु नानक इंटर कॉलेज के ग्यारहवीं के छात्र ओनम सिंह ने किसानों के लिए खास सब्जी धोने वाली मशीन बनाई है। इस मशीन के जरिए कम समय में ही पानी की बचत के साथ सब्जियां धुल जाएगी। कुछ दिन पहले ही मिर्जापुर कलेक्टर ने ओनम सिंह के कामों के लिए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया था। इसके बाद प्रतिष्ठित आईआईएम अहमदाबाद भी ओनम सिंह को पुरस्कृत करेगा। ओनम सिंह को इस मशीन को बनाने की प्रेरणा एक दोस्त से मिली थी, जिसके बाद मेहनत करके खास तरीके की मशीन बनाई।

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1 हज़ार की लागत से बानी मशीन

ओनम सिंह ने बताया कि एक बार स्कूल जाते समय कुछ लोग तालाब के किनारे सब्जियों को धो रहे थे। उसी वक्त जमुनहिया के रहे वाले उनके दोस्त ने बताया कि किसानों को मूली और अन्य सब्जियों को धोने में बड़ी परेशानी होती है। करीब दो महीने की मेहनत के बाद और एक हजार रुपये के खर्च से सब्जी धोने वाली मशीन बनी। इसमें एक बाल्टी, एक मोटर पम्प, तार, प्लास्टिक की टोकरी, पाइप और नल की टोटी का प्रयोग किया गया है। ओनम सिंह ने कहा कि इसे बड़े स्तर पर लाने के लिए बीएचयू के कृषि वैज्ञानिकों से बात की जा रही है, जहां उनकी मदद से इस मशीन को और बेहतर बनाया जाएगा।

बेटे की कामयाबी पर पिता को है गर्व

छात्र ओनम सिंह की कामयाबी को देख कर माता-पिता को उन पर भौत गर्व हैं। ओनम के पिता पेशे से इंजीनियर हैं। किराये के मकान में रहने वाले मध्यमवर्गीय ओनम का परिवार कुशीनगर जिले के लाला गुखलिया का निवासी हैं। उनके पिता एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। ओनम की मां पूनम सिंह ने बताया कि प्रतिभाशाली बेटे की कामयाबी से खुशी चार गुना हो गई है। ओनम पहले से ही पढ़ाई में अव्वल आता है। वो चाहती है कि बेटा इसी तरह से आगे बढ़ते रहे।