इन 8 नाग देवताओं की होती है नाग पंचमी के दिन पूजा, जानें इनकी पौराणिक कहानी

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सावन की शुरुआत होते से ही त्यौहारों का सिलसिला चल पड़ा है। इस बीच आने वाले दो बड़े त्यौहार में से एक नाग पंचमी है। इसका महत्त्व हिन्दू मान्यताओं में सबसे ज्यादा माना जाता हैं। नाग पंचमी और रक्षा बंधन सबसे बड़े त्यौहारों में से है। इस बार नाग पंचमी का त्यौहार 25 जुलाई को है यानि की आज मनाया जा रहा है। वहीं रक्षाबंधन का त्यौहार सावन माह के अंतिम सोमवार को यानी कि 3 अगस्त को मनाया जाएगा। हर साल ये पर्व शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।

naag panchami

आपको बता दे, इस दिन नाग देवता की पूजा करने से राशि में राहु और केतु से संबंधित दोष दूर होते हैं। इस दिन महिलाएं सांप को भाई मानकर उनकी पूजा करती हैं। भगवान शिव जी के गले का हार भी नाग देवता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, नाग पंचमी के दिन इन 8 देवताओं को पूजा जाता है। नागपंचमी के दिन आठ नागों की पूजा होती है। इनमें अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीक, कर्कट और शंख हैं।

अनंत –
आपको बता दे, भगवान विष्णु के सेवक शेषनाग के सहस्र फन पर धरती टिकी हुई है। ये ब्रह्मा के वरदान से पाताल लोक के राजा हैं। दरअसल, रामायण काल में लक्ष्मण शेषनाग के अवतार थे। वहीं महाभारत काल में बलराम शेषनाग के अंश थे।

वासुकि –
आपको बता दे, भगवान शिव के सेवक वासुकि हैं। समुद्र मंथन के दौरान मंदराचल पर्वत को मथनी तथा वासुकि को ही रस्सी बनाया गया था। महाभारत काल में उन्होंने विष से भीम को बचाया था।

पद्म –
वहीं पद्म नागों का गोमती नदी के पास के नेमिश नामक क्षेत्र पर शासन था। जिसके बाद में वह मणिपुर में बस गए थे। ऐसा कहते हैं असम में नागवंशी इन्हीं के वंशज हैं।

महापद्म-
आपको बता दे, विष्णुपुराण में सर्प के विभिन्न कुलों में महाद्म का नाम सामने आया है।

तक्षक नाग –
तक्षक नाग का वर्णन महाभारत में मिलता है। ये तक्षक पाताल में निवास करने वाले आठ नागों में से एक हैं। यह माता कद्रू के गर्भ से उत्पन्न हुआ था तथा इसके पिता कश्यप ऋषि थे। तक्षक ‘कोशवश’ वर्ग का था। आपको बता दे, यह काद्रवेय नाग है। माना जाता है कि तक्षक का राज तक्षशिला में था।

कुलिक –
कुलिक नाग जाति को ब्राह्मण कुल की मानी जाती है। वहीं कुलिक नाग का संबंध ब्रह्मा जी से भी माना जाता है।

कर्कट नाग –
पौराणिक कथाओं के अनुसार सर्पों की मां कद्रू ने जब नागों को सर्प यज्ञ में भस्म होने का श्राप दिया तब भयभीत होकर कंबल नाग ब्रह्माजी के लोक में, शंखचूड़ मणिपुर राज्य में, कालिया नाग यमुना में, धृतराष्ट्र नाग प्रयाग में, एलापत्र ब्रह्मलोक में और अन्य कुरुक्षेत्र में तप करने चले गए।

शंख-
नागों के आठ कुलों में शंख एक हैं। शंख नाग जातियों में सबसे बुद्धिमान है।