मां लक्ष्मी की पूजा के लिए ये 5 दिन है शुभ, जरूर करें पूजा, मिलेगा आशीर्वाद

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धन और संपत्ति की अधिष्ठात्री देवी मां लक्ष्मी है। माना जाता है मां लक्ष्मी का जन्म समुद्र से हुआ था और इन्होने श्री विष्णु से विवाह किया था। इनकी पूजा से धन की प्राप्ति होती है साथ ही वैभव भी मिलता है। वहीं अगर मां लक्ष्मी रुष्ट हो जाए तो जातकों को दरिद्रता का सामना करना पड़ता है। लेकिन यदि मां लक्ष्मी प्रसन्न हो जाए तो आप गरीब से अमीर चुटकियों में बन सकते हैं।

वहीं ऐसी मान्यता है कि शुक्रवार को विधिवत पूजन से मां लक्ष्मी और भी ज्यादा प्रसन्न होती हैं। ऐसा करने से घर में पैसों की समस्या समाप्त होती है और सुख-शांति का विस्तार होता है। साथ ही शास्त्रों में मां लक्ष्मी की खास कृपा प्राप्त करने के लिए कुछ खास दिन बताए हैं। इन खास दिनों में मां की पूजा करने से सारी समस्या दूर हो जाती है। इन दिनों को योग साधना के लिए भी महत्वपूर्ण माना गया है। तो चलिए जानते है मां लक्ष्मी के वो खास दिन जिनमें उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती हैं।

ये है वो खास दिन –

राधाष्टमी – भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधाष्टमी कहा जाता है। आपको बता दे, शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर कृष्ण पक्ष की अष्टमी का काल सुरैया कहलाता है। ये समय समृद्धि प्राप्त करने के लिए बेहद पवित्र काल खंड है। ऐसे कहा गया है कि इस महापर्व को लक्ष्मी साधना का पर्व मानते हैं। ऐसे में देश के कई भागों में ये पर्व लक्ष्मी उपासना के रूप में ही जाना जाता है। दरअसल, इन दिनों यक्षिणी और योगिनी साधना का अतिमहत्व है साथ ही आध्यात्मिक मान्यताएं यक्ष-यक्षिणी को स्थूल समृद्धि का नियंता मानती है। कुबेर यक्षराज और लक्ष्मी यक्षिणी हैं। जो भी भक्त सच्चे मन से महालक्ष्मी की पूजा करते हैं उस पर मां की विशेष कृपा बनी रहती है।

शरद पूर्णिमा – आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता हैं। शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी रात में विचरण करती हैं। साथ ही अपने भक्तों को धन-धान्य से पूर्ण करती हैं। बता दे, शरद पूर्णिमा की पूरी रात मां लक्ष्मी का जागरण और उनकी स्तुति करना धन समृद्धि दायक माना गया है। दरअसल, ऐसा कहा जाता है इस रात में कौड़ी खेलने की भी प्रथा है। वहीं जो भी भक्त रातभर मां लक्ष्मी की अराधना करता है, उसको कभी किसी चीज की कमी नहीं होती है।

रुक्मिणी अष्टमी – पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुकमणी अष्टमी कहा जाता है। क्योंकि भगवान कृष्ण की पत्नी रुकमणी को मां लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। भगवान कृष्ण का जन्म भी अष्टमी तिथि को हुआ था। वहीं राधा जी का जन्म भी अष्टमी तिथि को ही हुआ था और कृष्ण भगवान की पत्नी रुक्मणी का जन्म भी अष्टमी तिथि को ही हुआ था। जिसकी वजह से अष्टमी तिथि को हर कार्य के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन पूजा करने से धन्य धन्य की वृद्धि होती है साथ ही सुख शांति भी बनी रहती है।

वरद लक्ष्मी -इस दिन व्रत रख कर मां लक्ष्‍मी को प्रसन्‍न करने का और उनकी कृपा प्राप्त करने का विधान बताया गया है। बता दे, दिवाली की तरह इस दिन भी गणेश और लक्ष्‍मीजी दोनों की पूजा की जाती है। ऐसा कहा गया है कि मां लक्ष्मी की खास कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन कलश बैठाकर वर मुद्रा वाली देवी लक्ष्मी की पूजा करना उत्तम बताया गया है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से सौभाग्य और संपत्ति में वृद्धि होती है। साथ ही इस दिन कनक धारा स्तोत्र का पाठ भी फलदायी होता है।

दीपावली – जैसा की आप सभी को पता है कार्तिक मास के कृष्‍ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दिवाली का पर्व मनाया जाता है। दिवाली हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार है। इसे महानिशा की रात भी कहा जाता है। बता दे, इन दिन महालक्ष्मी की पूजा करने से न सिर्फ समृद्धि बढ़ती है बल्कि सिद्धियां भी प्राप्त होती है।मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान महालक्ष्मी धरती पर प्रकट हुई थीं।