शनि के ये 3 योग होता है बहुत भाग्यशाली, इंसान हमेशा रहता है मालामाल

Ayushi
Published on:
Shani Margi 2021

शनि को न्याय और कर्मफल का देवता माना जाता है। शनि को प्रसन्न करके व्यक्ति जीवन के कष्टों को कम कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि जब भी कभी ग्रहों में किसी तरह का कोई बदलाव होता है तो इसका सीधा असर हमारी राशि पर पड़ता है। जिस वजह से कुंडली पर शनि बैठ जातें हैं और ऐसे में व्यक्ति के जीवन में दुख भी आ सकते हैं तो खुशियां भी आ सकती हैं।

अगर जिसकी कुंडली में भगवान शनि देव की दृष्टि पड़ जाए या शनि देव जिस व्यक्ति से नाराज हो जाएं तो समझ लीजिए कि उसका भाग्य उससे रूठ कर कहीं चला गया है। चारो ओर परेशानी के सिवा और कुछ नजर नहीं आता है। लेकिन लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि शनि देव सिर्फ अशुभ फल ही प्रदान करते हैं, जिसकी कुंडली में शुभ योग बनते हैं शनिदेव की कृपा निरंतर उस पर बनी रहती है।

ज्योतिषों की माने तो शनि के अशुभ प्रभावों के कारण मनुष्य अपने जीवन में कई समस्याओं का सामना करता है। लेकिन जिस व्यक्ति की कुंडली में शुभ योग बनते हैं भगवान शनि की कृपा उस पर निरंतर बनी रहती है। आज हम आपको ऐसे 3 शुभ योग के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी बजह से व्यक्ति का भाग्य बदल जाता है।

आपको बता दे, शनि और शुक्र एक ही स्थान पर हों जिस भी व्यक्ति की कुंडली में शनि और शुक्र एक ही स्थान पर हों तो शनि-शुक्र योग का निर्माण होता है। ऐसे में ये योग बनने पर व्यक्ति को सुख समृध्दि के साथ आर्थिक परेशानी से मुक्ति मिलती है। दरअसल, इतना ही नहीं इस योग के शुभ प्रभाव से व्यक्ति का जीवन सुखमय होता है और इससे जुड़े अन्य लोगों पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। तुला राशि या वृष राशि के जातकों के लिए शनि का यह योग सबसे अधिक शुभ माना जाता है। उनकी हर मनोकामना इससे दूर होती है।

शनि योग से होते हैं ये लाभ –

ज्योतिषों के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि अपनी खुद की राशि मकर, कुंभ या तुला राशि में हो या फिर शनि अपनी उच्च राशि तुला में होकर, कुंडली के मध्य भावों में स्थित हो तो ये योग शश योग बनता है। ऐसे में कहा जाता है कि जब यह योग का निर्माण होता है तब व्यक्ति का जीवन राजा के सामान बीतता है।

शनि के सातवें भाव में होने पर –

इसके अलावा यदि शनि का स्थान भी व्यक्ति की कुंडली मेें बदलता रहता है। वहीं अगर शनि किसी व्यक्ति की कुंडली के सप्तम भाव में बैठे हों तो इसके प्रभाव से मनुष्य परिश्रमी होता है। इसके साथ ही मनुष्य का जीवन राजा के समान हो जाता है। जिस भी व्यक्ति की कुंडली में शनि सप्तम भाव में बैठे हों तो उन्हें शनि देव की पूजा करना चाहिए।