अपनी मांगो को लेकर दो साल बाद फिर से किसान दिल्ली की ओर कूच कर दिए है। किसानों का कहना है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर अपनी बातों से पलट गई है। हालांकि 12 फरवरी रविवार को किसानों के साथ केंद्रीय मंत्रियों के मीटिंग हुई जो बेनतीजा रही। इसके बाद से ही किसान दिल्ली कूच का ऐलान कर दिए है। इस बात पर किसान नेता सरवण सिंह पंधेर ने कहा कि सरकार किसानों की मांगों को लेकर सीरियस नहीं है। सरकार के मन में खोट है। वह सिर्फ टाइम पास करना चाहती है। हम सरकार के प्रस्ताव पर विचार करेंगे, लेकिन आंदोलन पर कायम हैं।
आपको बता दें ये पहली बार नहीं है जब किसान आंदोलन कर रहे हैं। दो साल पहले दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का ऐतिहासिक आंदोलन हुआ था तब मोदी सरकार को किसानों के आगे घुटने टेकने पड़े थे और संसद से पारित तीन कृषि कानूनों को रद्द करना पड़ा था। किसानों का डर था कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP को खत्म कर सकते हैं और खेती।किसानी कॉर्पोरेट कंपनियों के हाथों में सौंप जा सकते हैं।
गौरतलब है कि किसान करीब एक साल तक लगातार धरना प्रदर्शन करते रहे। किसानों को दावा है कि इस आंदोलन के दौरान 700 से ज्यादा किसानों की मौत हो गईए हालांकि, सरकार और गैर सरकारी सतह पर इन दावों को अहमियत नहीं मिली। साल पहले सरकार ने न सिर्फ कानूनों को रद्द कर दियाए बल्कि एमएसपी पर गारंटी देने का वादा किया। इसके बाद किसानों ने आंदोलन वापस ले लिया था। लेकिन अब किसानों का कहना है कि सरकार ने एमएसपी को लेकर अपने वादे पूरे नहीं किए।
न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की मांग
2021 के आंदोलन की तरह ही इस बार भी अपनी कई मांगों के लिए किसान विरोध प्रदर्शन के लिए उतर रहे हैं। खास तौर से न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP की गारंटी को लेकर कानून बनाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाना उनकी सबसे बड़ी मांग है।
वहीं संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है, कि वह केंद्र सरकार को सिर्फ उनके दो साल पहले किए गए वादों को याद दिलाना चाहते हैं ,जो किसानों से आंदोलन वापस लेने की अपील करते हुए सरकार ने किए थे। वो वादे अबतक पूरे नहीं हुए हैं। सरकार ने एमएसपी पर गारंटी का वादा किया था। किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने की बात कही थी।