दिनेश सोलंकी
सेना के तीन संस्थान, आंबेडकर जन्म के वृहद आयोजन से लेकर कई राजनैतिक कार्यक्रम महू में होते रहते हैं। इसके बावजूद महू छावनी को जब तब भी प्रशासन हल्के में लेता रहा है तब तब यहां पर गंभीर किस्म के अपराध पनपने लगते हैं। मौजूदा विधायक उषा ठाकुर को जिस समय पिछले कार्यकाल में मंत्री पद उन्हें मिला था, उसके बाद से ही महू में आईएएस अफसर और आईपीएस अफसर पदस्थ ही नहीं हुए, एक प्रकार से बंदिश लगा दी गई और प्रमोटी अफसर यहां पदस्थ होने लगे। यह गौरतलब है कि पूर्व पंचायत मंत्री रह चुके क्षेत्रीय विधायक स्वर्गीय भेरूलाल पाटीदार ने महू को आईएएस पर एसडीएम के अलावा एडिशनल कलेक्टर की पोस्ट तक शुरू करवा दी थी। तब यहां पहले एडिशनल कलेक्टर प्रवीण गर्ग बनाए गए थे।
भेरूलाल पाटीदार के हटने के बाद से यह पद भी जाता रहा हालांकि एसडीएम की नियुक्ति आइएएस लेवलकी होती रही। इसके अलावा महू में आईपीएस की नियुक्ति भी लंबे समय से चल रही है। लेकिन तीन साल पूर्व उषा ठाकुर के मंत्री बनते ही यह दोनों पद प्रमोटी अफसरों के हवाले कर दिए गए। हालत यह हो रही कि नाना प्रकार के अपराध यहां पर धीरे-धीरे सर उठाने लगे हैं। सबसे बड़ी समस्या पैदा हुई महू से धारनाका के मार्ग पर जहां रोज रोज जाम होता रहा है, जबकि इस मार्ग को बहुत पहले से चौड़ा होने की कार्रवाई चलती रही है, जिसे आज तक अमल में नहीं लाया जा रहा है।
अलावा शहर में खुलेआम लव जिहाद के किस्से होने लगे। असामाजिक तत्व नाबालिक लड़कियों को बाग बगीचों में आराम से घूमाते हैं। जुआं, सट्टा गांजा, शराब तमाम प्रकार के नशे यहां पर शुरू कर दिए गए। इन पर किसी प्रकार की बंदिश पिछले 3 साल से पुलिस ने नहीं लगाई है पुलिस प्रशासन की हालत शहरी इलाकों में इतनी दयनीय चल रही है कि पिछले दिनों लगातार दो हत्याओं ने कई सवाल खड़े कर दिए। महू की एक विधवा तो पुलिस थाने के चक्कर काट काट के थक गई जिसके यहां लाखों रुपए की चोरी हुई थी, पुलिस ने आज तक उक्त मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की।
इस तरह कई दुपहिया वाहन चोरी हुए। कुछ मामलों में तो पुलिस ने एफ आई आर भी लिखना उचित नहीं समझा है। महू शहर की हालत दिन प्रतिदिन अपराधों के साए में होती जा रही है। यहां के नागरिक सुरक्षित नहीं लगते हैं। पुलिस की रात्रि गश्त कमज़ोर है पुलिस का चीता दल भी कुछ काम नहीं कर रहा है। अधिकारी शहर का चक्कर नहीं लेते हैं। कुछ वरिष्ठ अधिकारी अपने ठिकानों पर रातें तक नहीं गुजारते हैं।
ऐसी स्थिति में महू जहां अचानक सेना सिविलियन विवाद की स्थिति बनती है, हिंदू मुस्लिम सांप्रदायिक सौहार्द के बिगड़ने की परिस्थितियों पैदा होती हैं, अतिक्रमण और अवैध निर्माण को लेकर बार-बार तनाव पैदा होते हैं, शहर की सड़कों पर बात-बात पर जाम की स्थिति लगती है। इन तमाम कारणों को भुला दिया गया है। ऐसा लगता है पुलिस प्रशासन के नाम पर महू छावनी को लावारिस पटक दिया गया है। मौजूदा विधायक उषा ठाकुर आज भी यह प्रयास नहीं कर रही है की महू को आईएएस और आईपीएस अफसर देना कितना जरूरी होता है।