नरेंद्र भाले
प्रयोग एक ऐसी बला है जो सफल हो जाए तो साहसिक कदम होता है और फंस जाए तो अनावश्यक। धोनी ने हैदराबाद के साथ यही किया। सफल जोड़ी तोड़कर उन्होंने वाटसन को छोड़कर डुप्लेसिस के साथ सैम करेन को उतारा। इस स्पर्धा में 300 रन धारी डुप्लेसिस खाता भी नहीं खोल पाए जबकि करेन ने तीन चौके तथा दो छक्कों के साथ मात्र 20 गेंदों में 31 रन ठोंक दिए।
डुप्लेसिस को पारी की पहली गेंद पर चलता करने वाले हैं संदीप शर्मा ने करेन के संक्षिप्त तूफान का भी अंत कर दिया। इस नुकसान से वाटसन तथा रायडू ने उबरते हुए स्कोरबोर्ड चलायमान रखा। जहां बेरियस्टो ने रायडू को जीवनदान दीया वही राशिद खान ने वाटसन का कैच खुद की गेंद पर टपका दिया।
इसका फायदा उठाते हुए वाटसन ने राशिद को 97 तथा 102 मीटर लंबे छक्के उड़ाते हुए 38 गेंदों में 42 रनों की पारी खेली जबकि रायडू ने भी दो छक्कों के साथ 38 गेंदों में 41 रनों की। धोनी ने एक जीवनदान के साथ 21 तथा जडेजा ने तीन चौके तथा एक छक्के के साथ मात्र 10 गेंदों में 25 रनों का कैमियो खेलकर 167 रनों का स्कोर खड़ा कर दिया।
जवाबी हमला भी फूस्स ही रहा जहां वॉर्नर (9) को सैम करेन ने खुद की गेंद पर लपक लिया वही बेरियस्टो( 24) को जडेजा ने बोल्ड कर दिया। संकट की घड़ी में मनीष पांडे (4) रन आउट हो गए। ब्रावो ने जहां से थ्रो किया वहां से केवल एक ही स्टम्प नजर आ रहा था।
धीमे विकेट के कारण गेंद ठीक से बल्ले पर नहीं आ रही थी और बल्लेबाजों की समय साधना गड़बड़ा रही थी। एक छोर पर केन विलियमसन संघर्ष कर रहे थे तो दूसरी तरफ प्रियम गर्ग (16 ) एवं विजय शंकर (12) चलते बने। खुद विलियमसन 52 रन बनाकर दम तोड़ गए और उनके अकेले का संघर्ष पराजय की गर्त में समा गया।
राशिद खान (14) एक ही गेंद पर दो मजेदार अंदाज में आउट हुए। उनका आसमानी शॉट कैच तो हुआ ही हिट विकेट भी हो गए। जहां धोनी 14 वें ओवर में ब्रावो को गेंदबाजी के लिए लाए वही पीयूष चावला से एकमात्र ओवर फिकवाया। विलियमसन ने करण के 17 वें ओवर में तीन चौके तथा एक छक्का उड़ाया लेकिन उनके भागीरथ प्रयास जीत के द्वार खोलने में नाकाम रहे। इसके बाद तो मात्र 18 गेंदों में 46 रन राशिद और नईम के बूते की बात ही नहीं थी एवं हैदराबाद का सूरज पूरी तरह उगे बगैर ही अस्त हो गया। वास्तव में इस बुढाती टीम में जहां वाटसन तथा मैन ऑफ द मैच जडेजा शोला बनके उभरे वही चिंगारी के रूप में सैम करेन ने अपना जलवा बिखेरा