हिन्दू धर्म में भगवान गणेश की सबसे ज्यादा पूजा जाता है। भगवान गणेश एक ऐसे देवता है जिन्हें सभी देवी देवताओं में सबसे पहले पूजा जाता है। उन्हें सबसे पहले पूजे जाने का वरदान उनके पिता भगवान शिव ने दिया था। आपको बता दे, भगवान गणेश शिव परिवार में ज्येष्ठ पुत्र हैं। शिव परिवार के प्रत्येक व्यक्ति या उनसे जुड़े वाहन एक- दूसरे से विपरीत होने के बावजूद प्रेम के धागे से बंधे हैं।
जैसे शिवपुत्र कार्तिकेय का वाहन मयूर है, मगर शिवजी के गले में सर्प लटके रहते हैं। ऐसे ही भगवान गणेश को भी उनके लंबे कान, लंबी सूंड, बड़े आकार का पेट और उनका बड़ा सा दांत उन्हें बेहद मनमोहक बनाता है। लेकिन क्या आप जनता है भगवान गणेश के इन अंगों में क्या गहरा राज़ छुपा है। तो चलिए आज हम आपको उनके इस गहरे राज़ के बारे में बताने जा रहे हैं।
आपको बता दे, भगवान गणेश का पेट काफी बड़ा है और उनका पेट एक गहरी सीख भी देता है। उनका पेट कहता है कि हमें किसी भी बुरी बात को औरों को बताने के बजाय पचा लेना चाहिए। शास्त्रों में लिखा है कि गणेश जी बातों को पचा लेते थे। वहीं अगर बात करें उनके कान की तो उनका कान कहता है कि हम चाहे किसी भी प्रकार की बुरी बात को सुने। परन्तु एक कान से सुनकर दूसरे कान से इस तरह की बातें निकाल देनी चाहिए। हमें किसी भी काम को सोच-समझकर ही करना चाहिए।
इसके अलावा भगवान गणेश के दातों का मतलब है कि परशुराम जी ने क्रोध में आकर गणेश का एक दांत तोड़ दिया था। इसलिए कहा जाता है कि उनका एक दांत इंद्र देव ने तोड़ा था। जबकि महाभारत लिखने के लिए उन्होंने अपना दांत खुद ही तोड़ लिया था। इस वजह से गणेश जी एक दंत कहलाते हैं।
इससे हमें यह सीख मिलती है कि मानव को हर काम में दक्ष होना चाहिए। उसे अपनी भीतर की ताकत का अंदाजा होना चाहिए। वहीं उनकी लंबी सूंड बुद्धि का प्रतीक है। गणेश जी को उनकी हिलती-डुलती सूंड सदा उन्हें इस बात से परिचित करवाती रहती है कि आस-पास क्या हो रहा है या क्या चल रहा है।