Indore: प्रसिद्ध न्यूज़ पोर्टल घमासान डॉट कॉम द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय महिला साहित्य समागम के दूसरे दिन की शुरुआत लघुकथा सत्र से हुई। लगभग 22 लघुकथाकारों द्वारा सामाजिक ,पारिवारिक , राजनैतिक व भ्रष्टाचार जैसे विषयों से सम्बद्ध लघुकथाएँ प्रस्तुत की गई
.इस सत्र की अतिथि लघुकथा शोधकेन्द्र भोपाल (मप्र) की निदेशक कांता रॉय ने कहा -“जीवन के सभी महत्वपूर्ण क्षणों में लघुकथाएँ होती है” उन्होंने प्रतिभागियों द्वारा सुनाई गई लघुकथाओं का उदाहरण देकर लघुकथा विधा की बारीकियों पर प्रकाश डालते हुए कहा- बहुत सारी लघुकथाएँ गुंफित होकर उपन्यास बनती है उपन्यास अनार है तो लघुकथाएँ उस अनार के दाने.
वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार निर्मला भुराड़िया द्वारा अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा लघुकथा पारिवारिक सामाजिक जीवन से जुड़े मुद्दों पर उंगली रखने का काम करती है.लघुकथा से विस्तार अपेक्षित नही होता. लघुकथाकार को अपने पाठकों की समझ पर विश्वास रखना चाहिए व कुछ बाते पाठकों के समझने के लिए छोड़ देनी चाहिए.
मंचासीन अतिथियों का स्वागत वामा साहित्य मंच की सचिव इंदु पराशर जी ने किया तथा सत्र का संचालन शिरिन भावसार व रुपाली पाटनी ने किया.