इंदौर के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय का नजारा इन दिनों बदला-बदला सा नजर आने लगा है। यहां अब सभी कर्मचारी समय पर कार्यालय आते हैं और सभी काम समय पर हो रहे हैं। यही नहीं हर कर्मचारी अपनी जवाबदारी पूरी तरह से निभा रहा है। अक्सर दलालों का अड्डा बना रहने वाला जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय इन दिनों दलालों से पूरी तरह मुक्त नजर आ रहा है। बताया जाता है कि जो काम अब तक 12 जिला शिक्षा अधिकारी नहीं कर पाए वह काम वर्तमान प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी संयुक्त कलेक्टर रवि कुमार सिंह ने कर दिखाया। इससे जहां शिक्षक वर्ग में खुशी है वही जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय काम के लिए आने वाले भी खुश नजर आते हैं।
बताया जा रहा है कि अपनी सख्त कार्यशैली के कारण रवि कुमार सिंह यहां के कर्मचारियों की आंखों में खटक रहे हैं लेकिन उन्होंने यहां का ढर्रा जरूर सुधार दिया है। कार्यालय में अनुकंपा नियुक्ति, क्रमोन्नति, पेंशन, पदोन्नति, फिक्सेशन, एरियर, मान्यता, अनुदान सहित आने वाले आवेदनों का समय सीमा में निराकरण किया जा रहा है। वहीं रवि कुमार ने काफी हद तक भ्रष्टाचार पर भी नियंत्रण किया है। पहले जो काम बिना पैसे दिए नहीं होते थे वह अब आसानी से होने लगे हैं। कर्मचारी भी समय पर कार्यालय आते हैं और काम पूरा करने के बाद ही कार्यालय से जा पाते हैं।
प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी रवि कुमार सिंह भी कार्यालय को पूरा समय देते हैं उन्हें रात 7-8 बजे तक भी कार्यालय में देखा जा सकता है। जिला कलेक्टर मनीष सिंह ने प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी बनाने के लिए उनका चयन किया था। बताया जाता है कि राजेंद्र मकवानी के स्वेच्छा से जिला शिक्षा अधिकारी पद से हटने के बाद जिले का कोई भी प्राचार्य जिला शिक्षा अधिकारी बनने के लिए तैयार नहीं था। तब जिला कलेक्टर ने राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को जिला शिक्षा अधिकारी बनाने का निर्णय लिया था। यह प्रयोग पूरी तरह से सफल रहा है जिले के शिक्षकों का तो यहां तक कहना है कि राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को ही स्थाई रूप से जिला शिक्षा अधिकारी बनाया जाना चाहिए।