नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कश्मीरी पंडितों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि हमारे जो भाई-बहन यहां से चले गए हैं, वे घर लौट आएंगे। अब उनके घर लौटने का समय आ गया है।” उनका यह बयान दशहरे के अवसर पर श्रीनगर के एसके स्टेडियम में आयोजित एक कार्यक्रम में आया।
सभी समुदायों का समावेश
फारूक अब्दुल्ला ने स्पष्ट किया कि वे कश्मीरी पंडितों के साथ-साथ जम्मू के लोगों के बारे में भी चिंतित हैं। उन्होंने कहा, “हमें उनके साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए और यह भी समझना चाहिए कि नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार उनकी दुश्मन नहीं है।” उन्होंने सभी समुदायों की मदद करने की प्रतिबद्धता जताई, चाहे वे कश्मीरी, मुस्लिम, पंजाबी या जम्मू-कश्मीर के अन्य निवासी हों।
दशहरा समारोह में भागीदारी
यह पहला मौका है जब फारूक अब्दुल्ला ने दशहरा समारोह में हिस्सा लिया। जब मीडिया ने उनसे पूछा कि उन्हें पहले बुलाया क्यों नहीं गया, तो उन्होंने कहा, “मैं पांच साल तक सांसद रहा, लेकिन मुझे कभी नहीं बुलाया गया। इस बार मुझे बुलाया गया, तो मैं आया।” उन्होंने अपने पिता के समय में हिंदू समुदाय के साथ जुड़ने का जिक्र किया और आज की कमी को महसूस किया।
जम्मू-कश्मीर की एकता की प्राथमिकता
बाबा सिद्दीकी ने कहा कि उनकी सरकार की पहली प्राथमिकता जम्मू-कश्मीर को एकजुट करना होगी। चुनावों के बीच नफरत की भावना को दूर करना आवश्यक है, ताकि राज्य का विकास हो सके।
चुनावी परिणामों का विश्लेषण
जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 42 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनने का गौरव प्राप्त किया, जबकि सहयोगी कांग्रेस को 6 सीटें मिलीं। बीजेपी ने 29 सीटें जीतीं। जम्मू संभाग में लोगों ने फिर से बीजेपी पर विश्वास जताया, जबकि कश्मीर घाटी में नेशनल कॉन्फ्रेंस को समर्थन मिला, जिससे क्षेत्र में ध्रुवीकरण स्पष्ट दिखाई दिया।