देवी अहिल्या बाई की जीवनी का सारांश किताबों या दीवारों पर नहीं, अहिल्याबाई पुस्तकालय के अंदर रखे स्टैंडी बॉक्स पर है लिखा

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इंदौर। किताबों के बगैर घर, खिड़कियों के बगैर कमरे के समान है। क्या तुमने अपने कमरे में रखी सारी किताबें पढ़ी है। यह साहित्यिक सवाल और महान व्यक्तियों द्वारा कही गई प्रेरणदायक बाते रीगल स्थित देवी अहिल्या बाई लाइब्रेरी में लिखी गई है। सामान्य रूप से ऐसी बातें दीवारों पर लिखी जाती हैं लेकिन यह साहित्य की बानगी बयां करती बाते लाइब्रेरी परिसर में रखे गमलों के बॉक्स नुमा स्टैंड पर लिखी है। लोहे की रॉड और लकड़ी की मदद से इन 2 से 3 फीट के स्टैंड बॉक्स का निर्माण किया गया है।

मां अहिल्या बाई की जीवनी का सारांश लिखे स्टैंड में रखे पौधे

आठ साल की उम्र में विवाह हुआ, 21 साल की उम्र में विधवा हुई, 35 की उम्र में बेटे को भी खोया, 1767 में राजगद्दी की बागडोर संभाली और 30 वर्षों तक इंदौर पर शासन किया। मां अहिल्या बाई की जीवनी का एक छोटा सा सारांश यहां इन स्टैंड पर लिखा गया है। वहीं साहित्य जगत के विचारों के साथ साथ यहां पर पंडित दीनानाथ भार्गव, और अन्य महापुरुषों के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएं शामिल की गई है। लगभग इन 10 स्टैंड में सुसज्जित पौधों को रखा गया है। जो दिखने में काफी आकर्षक है।

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हजारों किताबे है लाईब्रेरी में, कई साहित्यिक प्रोग्राम होते हैं

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कई साल पुरानी इस लाईब्रेरी में हजारों किताबे रखी है। जिसमें, साहित्यिक, दार्शनिक, सामाजिक, महापुरुषों की जीवनी, कविताओं पर आधारित किताब, कहानी, एकांकी, धार्मिक, राजनीति पर आधारित और अन्य प्रकार की किताबें शामिल हैं। महापुरुषों में महात्मा गांधी, सरदार पटेल, बाल गंगाधर तिलक, जवाहरलाल नेहरु, एपीजे अब्दुल कलाम आजाद, और अन्य लोगों की जीवनी पर आधारित किताबें यहां रखी है। इसी के साथ लाईब्रेरी में बैठने की व्यवस्था की गई है ताकि कोई व्यक्ति आराम से बैठकर पढ़ सके। यहां रोजाना कई स्टूडेंट और शहर के बुद्धिजीव अपना अध्ययन करने आते हैं। साथ ही यहां पर साहित्य से संबंधित कई प्रोग्राम होते हैं।