मलेरिया का नाम सुनकर ही सभी लोगों में डर फैलने लगता है, क्युकी इस बीमारी को अत्यधिक भयानक बीमारी माना जाता है। लेकिन इस बीमारी का अपना एक अलग ही इतिहास है। दरअसल मलेरिया के मच्छर की पहचान आज ही के दिन हुई थी। 20 अगस्त को ही मलेरिया के मच्छर की पहचान हुई थी। मलेरिया के मच्छर की पहचान को 1897 में एक ब्रिटिश वैज्ञानिक सर रॉनल्ड रॉस ने की थी। उन्होंने पहली बार मलेरिया के परजीवियों के मच्छरों में विशिष्ट संरचनाओं को पहचाना जो बाद में अनोफेलिस मच्छरों के रूप में जाने गए।
नोबेल प्राइज और संयुक्त राष्ट्र के साथी
1962 में, नोबेल प्राइज फिजियोलॉजी या मेडिसिन के क्षेत्र में सिर मैक्सिमिलियन विल्याम वर्नर (सर उख्त नाथलन) को सम्मानित किया गया। सर उख्त नाथलन ने मलेरिया के परजीवियों के जीवनचक्र के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्होंने मलेरिया के परजीवियों के जीवनचक्र की समझ में मदद करने वाली विशिष्ट जननसंचयी तंतुओं की पहचान की और इसके लिए उन्हें नोबेल प्राइज से सम्मानित किया गया।
नोबेल प्राइज विजेता सर उख्त नाथलन की पूरी कहानी
सर उख्त नाथलन 19 अक्टूबर, 1903 को लाहौर, ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान) में जन्मे थे। उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की और उनकी विज्ञान में गहरी रुचि थी। उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत में कई विभिन्न प्रकार के कीटाणुओं के अध्ययन पर काम किया, लेकिन उनका सबसे महत्वपूर्ण काम मलेरिया के परजीवियों के बारे में था।
उन्होंने अनोफेलिस मच्छरों में मलेरिया के परजीवी के विकास चक्र की जांच की और उनके जीवन-संचयी तंतुओं की पहचान की, जिन्होंने मलेरिया के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके योगदान से मलेरिया के प्रबंधन और नियंत्रण में बड़ी साफलता मिली और नोबेल प्राइज से सम्मानित किया गया।