सुमतिनाथ की प्रतिमा नूतन जिनालय सुमतिधाम में विराजित

Deepak Meena
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  • मानस्तम्भ का हुआ पूजन, २४ तीर्थंकरों की प्रतिमा मानस्तम्भ पर की विराजित, दर्शन-पूजन के लिए जैनियों का उमड़ा जन-सैलाब
  • मोक्ष कल्याणक के साथ संपन्न हुआ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव, आचार्य श्री विशुद्ध सागर ने २६ साधु संतो के साथ अंजनी नगर में किया विहार
  • एनआरआई भी पहुँचे सुमतिधाम, आचार्यश्री का आशीर्वाद भी लिया, जैनियों के इस महाकुम्भ में ६ लाख से अधिक समाज बंधु बने इस महोत्सव के साक्षी, आम से लेकर खास की चर्चा का विषय बना सुमतिधाम
  • पंचकल्याणक महोत्सव के समापन पर ऐरावत पर निकली सुमतिनाथ की भव्य शोभायात्रा, हजारों समाज बंधु हुए शामिल, बैंड़-बाजों की स्वरलहरियों पर झूम उठे लोग

इन्दौर : माँ के माध्यम से संतान की रक्षा होती है, माली के माध्यम से उद्यान की रक्षा होती तथा महात्मा के नियोग से प्रज्ञा की रक्षा होती है और परमात्मा के नियोग से आत्मा की रक्षा होती है। प्रज्ञा की रक्षा जो कर लेता है वही व्यक्ति विश्व को विचार व आचार देता है। विराटता विचारों में होना चाहिए। जिनके विचार विशाल हैं वे कक्ष में रहकर भी विश्व में फैल जाते हैं। यह बात जैनाचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज ने गांधी नगर गोधा एस्टेट में आयोजित ६ दिवसीय पंचकल्याणक महोत्सव के अंतिम दिन सभी श्रावक-श्राविकाओं को मोक्ष कल्याणक महोत्सव पर प्रवचनों की अमृत वर्षा करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि जिनके विचार निम्न होते हैं वे समुद्र के सम्मान विशाल होते हुए भी खारे होते हैं। जिनके विचार खारे हैं ऐसे लोग देश में, विश्व में खारापन फैलाते हैं। जिनके विचार मधुर हैं वे विश्व को एक अखंडता दिखाते हैं। विचारों कि अखंडता ही विश्व की अखंडता है। आपने कहा की जीवन में कभी भी अहम में मत आना। अहम विचारों की विशालता को न्यून कर देता है और यही अहंकार होता है।

पंचकल्याणक महामहोत्सव समिति आयोजक मनीष-सपना गोधा ने बताया कि गांधी नगर स्थित गोधा एस्टटे में ६ दिन से जारी पंचकल्याणक महोत्सव का समापन सोमवार को हुआ। आचार्य विशुद्ध सागरजी के सान्निध्य में प्रतिष्ठाचार्य प्रदीपकुमार जैन मधुर (मुंबई), सह-प्रतिष्ठाचार्य चंद्रकांत गुंडप्पा इंड़ी (कर्नाटक), पं. नितिनजी झांझरी (इन्दौर), विधानाचार्य पीयूष प्रसून (सतना) एवं तरूण भैय्याजी (इन्दौर) के निर्देशन में सभी विधियां संपन्न हुई। मोक्ष कल्याणक की विधि आचार्य विशुद्ध सागर के हाथों से की गई। महोत्सव के दौरान श्रावक-श्राविकाओं को भगवान का मोक्ष गमन सम्मेद शिखर सिद्ध क्षेत्र की प्रतिकृति के आधार पर अविचल कूट से मोक्ष गमन का दृश्य दिखाया गया। ५००० इंद्र-इंद्राणियों ने भगवान को निर्वाण लाडू भी इस अवसर पर चढ़ाया। ११.०१ मिनट पर सुमतिनाथ की मूलवेदी पर श्रीसुमतिनाथ भगवान की प्रतिमा एवं चार अन्य प्रतिमाएं विराजित की गई। सुमतिधाम जिनालय के बाहर बने मानस्तंभ में श्वते वर्ण की वर्तमान काल के २४ तीर्थंकरों की प्रतिमा स्थापित की गई। महोत्सव के अंत में सुमतिधाम परिसर में ऐरावत पर भगवान सुमतिनाथ की भव्य यात्रा भी इस अवसर पर निकाली गई। यात्रा में इंद्र-इंद्राणी बग्घियों पर सवार थे वहीं बैंड़-बाजों की स्वरलहरियों व ढ़ोलक की थाप पर महिला मंडल नृत्यों सहित मंगल गीत की प्रस्तुतियां दे रही थी।

समाजजनों ने की गोधा परिवार की अनुमोदना

पंचकल्याणक महोत्सव के अंतिम दिन समाजजनों ने मनीष-सपना गोधा परिवार की अनुमोदना की। समाज के लोगों ने अनुमोदना पत्र का वाचन कर उन्हें पंचकल्याणक महोत्सव, सुमतिधाम एवं संत निवास सौभाग्य सदन के इस भव्य कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए प्रशस्ति पत्र भेंट कर उनका बहुमान किया।

२८ राज्यों के साथ ही एनआरआई भी पहुंचे सुमतिधाम

पंचकल्याणक महामहोत्सव समिति एवं आयोजक मनीष-सपना गोधा ने बताया कि पंचकल्याणक महोत्सव में ६ लाख लोगों केसुमतिधाम का अवलोकन करने का अनुमान है। पहले दिन से रजिस्ट्रेशन कार्यालय पर यहां आने वाले अतिथियों और समाजजन का पंजीयन किया जा रहा था। इन्दौर की धरा पर पहली बार आयोजित हुए देश के सबसे बड़े पंचकल्याणक महोत्सव में २८ राज्यों के लोगों के साथ ही एनआरआई भी सुमतिधाम पहुंचे थे। आस्ट्रेलिया, कनाड़ा, अमेरिका, इटली से आने वाले अतिथियों ने भी सुमतिधाम व संत निवास सौैभाग्य सदन की प्रशंसा की उन्होंने पंचकल्याणक महोत्सव के सभी उत्सवों को अपने मोबाइल में कैद किया । विदेशों से आए मेहमानों ने सुमतिनाथ की ३० फीट की प्रतिमा, लेजर लाईट शो, शीश महल, ७डी पर प्रसारित व प्रचारित की जा रही सुमतिनाथ पर बनी शार्ट फिल्म एवं कल्याण भवन की सुंदरता व पंचकल्याणक महोत्सव में आयोजित एक-एक उत्सवों की जानकारी जो रिश्तेदार नहीं आ पाए उन्हें फोटो और वीडियो से दिखाने की बात कही।

आचार्य विशुद्ध सागर ने किया अंजनि नगर के लिए विहार

पंचकल्याणक के अंतिम दिन सोमवार को आचार्यश्री विशुद्ध सागर महाराज ने सभी को आशीर्वाद दिया एवं वह अपने २६ साधु संघ सहित सुमतिधाम से दोपहर ३ बजे कालानी नगर स्थित अंजनि नगर के लिए विहार कर गए। आचार्यश्री के विहार में श्री १०८ सुव्रत सागर, अनुत्तर सागर, सर्वार्थ सागर, साम्य सागर, संकल्प सागर, सौम्य सागर, सारस्वत सागर, सद्भाव सागर, संजयन्त सागर, यशोधर सागर, निग्र्रन्त सागर, निर्मोह सागर, निसंग सागर, निर्विकल्प सागर, जयन्द्र सागर, जितेंद्र सागर, जयंत सागर, सुभग सागर, सिद्धार्थ सागर, सहर्ष सागर, सत्यार्थ सागर, सार्थ सागर, सार्थक सागर, समकित सागर, सम्यक सागर, श्रेय सागर सहित पंचकल्याणक महोत्सव समिति सदस्यों के साथ ही अन्य समाज बंधु भी उनके विहार के साथ थे।