Indore: लोकनृत्यों से सजा मालवा उत्सव का मंच, झूम उठे दर्शक

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इंदौर। निमाड़ अंचल में गणगौर का बड़ा ही महत्व है जिसमें महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए गणगौर की पूजा करती है आज मालवा उत्सव के छठे दिवस पर निमाड़ का प्रसिद्ध नृत्य गणगौर महिलाओं द्वारा लाल छीठ के घेरदार लहंगे पहनकर किया गया। जिसमें धनिया राजा वह रनु बाई को अपने सिर पर रखकर धीरे-धीरे आगे पीछे होकर नृत्य किया गया बोल थे “डोला जी चाल्या चाकरी रे डोला।” वही शिल्प बाजार में काफी भीड़ नजर आई स्थानीय प्रसिद्ध कलाकार रागिनी मक्खर व साथियों द्वारा नारी शक्ति पर कथक नृत्य प्रस्तुत किया गया।

लोक संस्कृति मंच के संयोजक एवं सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि इंदौर गौरव दिवस के अंतर्गत संस्कृति संचनालय एवं नगर निगम के सहयोग से आयोजित मालवा उत्सव में आज उड़ीसा से आई 14 लोक कलाकारों के समूह ने वहां का प्रसिद्ध नृत्य डाल खाई प्रस्तुत किया यह नृत्य दुर्गा पूजा के अवसर पर दशहरा तक किया जाता है लाल व काली साड़ी में महिलाएं नृत्य कर रही थी तो पुरुष सफेद धोती में नजर आए हैं यह नृत्य भाई की लंबी उम्र के लिए किया जाता है । आदिवासी गोंड जनजाति का नृत्य सेला जो कि दशहरा से दीपावली तक किया जाता है इस में सवा हाथ के बांस के डंडे का खूबसूरत प्रयोग कर नृत्य किया गया कर्नाटक का ढोल कुनीथा भी 20 लोक कलाकारों द्वारा जोर-जोर से ढोल बजाते हुए प्रस्तुत किया गया। धूलिया जनजाति का गुदूम बाजा जिसमें कौड़ियों के पट्टे हाथ व शरीर में पहनकर गुदुम बजाते हुए सुंदर नृत्य किया गया इसमें पिरामिड की संरचना खास रही। यादव समाज का नृत्य बरेदी सागर से आई मनीष यादव के समूह द्वारा प्रस्तुत हुआ जिसमें चकरी घुमाते हुए करीब 10 युवकों की टीम ने पीले परिधान में नृत्य किया इसमें उन्होंने कई पिरामिड फॉरमेशन बनाएं ।गुजरात सूरत से आई टीम द्वारा राधा कृष्ण रास गरबा प्रस्तुत किया गया जिसमें पितांबर पहने कृष्ण व पीला पहनी राधा बड़ी खूबसूरत नजर आ रही थी। महाराष्ट्र का मछुआरा समाज का कोली प्रस्तुत किया गया जिसमें समुद्र में चप्पू चलाते हुए सुंदर दृश्य उपस्थित किया गया। महाराष्ट्र की लावणी भी सबके मन को भा गई। राजस्थान से आई कलाकारों की टीम ने घूमर व चकरी नृत्य प्रस्तुत किया। गुजरात की टीम ने काठियावाड़ी रास एवं टीवीशा व्यास समूह ने गुजराती गरबा वायलिन की धुन पर प्रस्तुत किया। प्रसिद्ध कलाकार रागिनी मक्खर एवं 27 शिष्यो द्वारा प्रस्तुत नारी सशक्तिकरण का रूप सभी दर्शकों ने काफी पसंद किया जिसमें कत्थक के माध्यम से देवी अहिल्या का महिमामंडन किया गया वही बताया गया कि शिव, ब्रह्मा, नारायण सभी नारी शक्ति के बगैर अधूरे हैं

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लोक संस्कृति मंच के सतीश शर्मा, बंटी गोयल, पुनीत साबू एवं विशाल गिद्वानी ने बताया कि शिल्प मेले में आज काफी भीड़ उमड़ी यहां बांग्लादेश सीरिया लेबनान अफगानिस्तान की ज्वेलरी से लेकर कालीन और जूट व साड़ियां सभी मौजूद हैं ।उत्तर प्रदेश का टेराकोटा, नागालैंड का ड्राई फ्लावर, मिजोरम वह आसाम का बास शिल्प तो छत्तीसगढ़ का लोह शिल्प व मध्य प्रदेश का पीतल शिल्प के साथ में महेश्वरी साड़ियां पोचमपल्ली साड़ियां कोलकाता का जूट शिल्प लखनऊ, फरीदाबाद, आजमगढ़, देहरादून से कई प्रकार के शिल्प यहां आए हैं और आसानी से उपलब्ध है। वही उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध चीनी मिट्टी के बर्तन यहां पर मौजूद है हिमाचल प्रदेश हरियाणा राजस्थान से भी शिल्प यहां पर आए हैं।

लोक संस्कृति मंच के पवन शर्मा कमल गोस्वामी एवं रितेश पाटनी ने बताया कि इंदौर गौरव दिवस पर आयोजित मालवा उत्सव मेले का कल अंतिम दिवस है शिल्प मेला सायंकाल 4:00 बजे से ही प्रारंभ होगा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम सायंकाल 7:30 बजे से प्रारंभ होंगे जिसमें पनिहारी, लावणी ,कोली, राजस्थानी घूमर, गोंड कर्मा, बरेदी, गुजराती रास, काठियावाड़ी रास, उड़ीसा के प्रसिद्ध लोक नृत्य एवं कर्नाटक के प्रसिद्ध लोक नृत्य प्रस्तुत होंगे।