शनि को न्याय और कर्मफल का देवता माना जाता है। शनि को प्रसन्न करके व्यक्ति जीवन के कष्टों को कम कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि जब भी कभी ग्रहों में किसी तरह का कोई बदलाव होता है तो इसका सीधा असर हमारी राशि पर पड़ता है। जिस वजह से कुंडली पर शनि बैठ जातें हैं और ऐसे में व्यक्ति के जीवन में दुख भी आ सकते हैं तो खुशियां भी आ सकती हैं।
ज्योतिष विज्ञान में शनि ग्रह को न्याय का देवता माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि शनि ग्रह व्यक्ति को उसके कर्म के अनुसार फल देते हैं। इसी वजह से जब 12 राशियों पर शनि की साढ़ेसाती लगती है, संबंधित जातकों की जिंदगी में खासी उथल-पुथल होती है। वहीं ज्योतिष के मुताबिक 24 जून 2020 से शनि मकर राशि में गोचर किए हुए हैं। जबकि 29 अप्रैल 2022 को वे कुंभ राशि में विराजमान हो जाएंगे।
शनि दूसरी राशि में प्रवेश कम से कम ढाई साल में करते है और इसी ढाई साल को पूरा एक चरण कहा जाता है। इसका मतलब यह है कि शनि ग्रह धीमी अवस्था में राशि बदलते हैं और उनका राशिचक्र पूरे 30 साल में समाप्त होता है। ज्योतषशास्त्र के अनुसार 29 अप्रैल 2022 तक शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण कुंभ राशि में शुरू होने जा रहा है।
ऐसे में कुंभ राशि के जातकों पर अब बुरा प्रभाव देखने को मिल सकता है। खास बात ये है कि इस राशि के जातकों को पूरे ढाई साल तक इस दुष्प्रभाव का सामना करना पड़ेगा। शनिदेव इस राशि के स्वामी भी हैं और जब वह राशि परिवर्तन करते हैं तो कुछ राशि पर शनि देव की साढ़ेसाती तो कुछ पर शनि की ढैय्या शुरू हो जाती है।
कुंभ राशि वालों पर पड़ेगा असर –
इस साढ़ेसाती के दौरान कुंभ राशि वालों को अपने पारिवारिक जीवन में उथल-पुथल हो सकती है। ऐसे में इन जातकों को सबसे ज्यादा ध्यान रखने की जरुरत है। व्यवसायिक तौर पर भी आपको कई तरह के नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। आपको धन-संपत्ति संबंधित परेशानियों का भी सामना करना पड़ेगा। स्वास्थ्य संबधि समस्याओं की अगर बात करें तो इस दौरान आप बीमारियों से परेशान रह सकते हैं। किसी भी आसान काम को करने में आपको समय और मेहनत ज्यादा लगाना पड़ सकता है। इतना ही नहीं आपके सहयोगी भी आपको धोखा दे सकते हैं।