हड्डियों में ओस्टियोपोरोसिस की समस्या बढ़ती जा रही है, कैल्शियम और विटामिन की कमी के चलते हड्डियां इतनी कमजोर हो गई है कि आसानी से टूट जाती है – Dr. Anil Agarwal DNS Hospital

Suruchi
Published on:

इंदौर। ऑर्थोपेडिक से संबंधित समस्या को अगर दो भागों में विभाजित किया जाए तो दोनों ही प्रकार के केस बढ़ रहे हैं। वर्तमान समय में हमारी बदलती जीवन शैली, खानपान की वजह से हड्डियों में कैल्शियम की कमी देखी गई है साथ ही कॉविड के दौरान लोगों द्वारा स्टेरॉयड का भरपूर मात्रा में इस्तेमाल किया गया उसके दुष्परिणाम के रूप में अब कूल्हों में ए वेस्कूलर नैक्रोसिस जैसी समस्या देखी जा रही है। वही हाई स्पीड वाहन और उनमें सेफ्टी का इस्तेमाल नहीं करने के चलते हैं मल्टीपल इंजरी ट्रॉमा के केस में भी बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हुई है जिसमें कई बार लोगों की जान तक चली जाती है। यह बात डॉ. अनिल अग्रवाल ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही वह शहर के प्रतिष्ठित डीएनएस हॉस्पिटल में ऑर्थोपेडिक सर्जन के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं साथ ही वह वाईएन रोड़ पर अपने क्लीनिक का संचालन भी कर रहे हैं।

सवाल. ओस्टियोपोरोसिस क्या है इसके बढ़ने की वजह क्या है

जवाब. वर्तमान समय में हमारी बदलती जीवनशैली और खान-पान के चलते यंग जनरेशन ओल्ड एज में हड्डियों से संबंधित ओस्टियोपोरोसिस जैसी समस्या देखने को सामने आ रही है। मेडिकल टर्म में इसे हड्डियों में कैल्शियम के घनत्व की कमी कहा जाता है। शरीर में विटामिन डी की कमी के चलते यह समस्या सामने आती है। वर्तमान समय में हमारी लाइफ स्टाइल सिडेंट्री हो गई है इस वजह से व्यायाम और सन एक्स्पोज़र वही खानपान में दूध और दूध से बने पदार्थ, फल फ्रूट हरी सब्जियां बहुत कम हो गया है। इस वजह से हड्डियों में कैल्शियम और विटामिन की मात्रा कम होती जा रही है। पहले यह समस्या 50 से 70 साल की उम्र के बाद होती थी जो अब 25 से 40 की उम्र के बीच देखी जा रही है। हड्डियां इतनी कमजोर हो गई है कि ऐसे में सामान्य चोट पर भी हड्डियां टूटना और उनमें फैक्चर जैसी समस्या देखने को सामने आती है।

सवाल. हिप रिप्लेसमेंट संबंधित समस्या किस वजह से बढ़ रही है

जवाब. हम सब ने कोविड का दौर देखा और उस दौरान लोगों द्वारा स्टेरॉयड भारी मात्रा में लिया गया। अब उसके दुष्परिणाम के रूप में ए वैस्कुलर नैक्रोसिस जैसी समस्याओं लोगों में देखने को सामने आ रही है इस समस्या में कुल्हे में ब्लड का सरकुलेशन कम हो जाता है और धीरे-धीरे समस्या इतनी बढ़ जाती है कि हिप रिप्लेसमेंट की जरूरत पड़ती है। पिछले 2 सालों में इसकी मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ गई है वही यंग जनरेशन में भी इसकी केस देखे जा रहे हैं। इसी के साथ आजकल जिम में सप्लीमेंट के रूप में स्टेरॉइड का भरपूर इस्तेमाल होने से भी यह समस्या देखी जा रही है। इस समस्या की चार स्टेज होती है अगर इसे पहली और दूसरी स्टेज में पकड़कर कोर डीकंप्रेशन कर दिया जाए तो आने वाले समय में इस समस्या से निदान मिल सकता है। इसके शुरुआती लक्षण में कूल्हे में दर्द होना, मूवमेंट कम होना, खड़े होने बैठने और चलने में दर्द की अनुभूति होना शामिल है जिसे आमतौर पर लोग कमर का दर्द समझ कर गलती कर देते हैं।

सवाल. घुटनों से संबंधित समस्या क्यों बढ़ रही है, इसे कैसे ठीक किया जा सकता है

जवाब. आजकल ज्वाइंट रिप्लेसमेंट से संबंधित समस्या भी देखी जा रही है लेकिन पहले के मुकाबले अब लोगों की उम्र में भी बढ़त हुई है पहले लोग सामान्यतः 60 साल जीते थे जो कि अब 80 साल तक जीते है ऐसे में ज्वाइंट से संबंधित समस्या सामने आती है। साथ ही अगर इसके अन्य कारणों की बात की जाए तो बढ़ता मोटापा, व्यायाम की कमी के चलते इस प्रकार की समस्या देखी जाती हैं। उम्र के साथ-साथ घुटनों मैं ओस्टियोआर्थराइटिस जैसी समस्या सामने आती है इस वजह से घुटनों में दर्द, टेढ़ापन सुजन और अन्य प्रकार की समस्या सामने आती है। इसके शुरुआती लक्षण में इसकी जांच कर इलाज कर दिया जाए तो काफी हद तक इसे ठीक किया जा सकता है। स्वस्थ घुटनों के लिए हमें साइकिलिंग, रनिंग और स्विमिंग जैसी एक्टिविटी पर ध्यान देना चाहिए।

सवाल. एक्सीडेंट से संबंधित किस प्रकार के ट्रॉमा के केस आपके पास आते हैं

जवाब. आजकल रोड़ और हाईवेज बहुत ज्यादा हो गए हैं वहीं इन पर चलने वाले वाहनों की स्पीड भी बहुत ज्यादा रहती है लोगों द्वारा हाई स्पीड वाले वाहन चलाने के दौरान किसी प्रकार के सेफ्टी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है इस वजह से कांपलेक्स ट्रॉमा के केस देखने को सामने आते हैं। बात अगर इसके आंकड़ों की करी जाए तो हाईवे पर कार से संबंधित एक्सीडेंट वहीं शहरों में बाइक से संबंधित एक्सीडेंट देखने को सामने आते हैं। कार एक्सीडेंट में सभी हड्डियों पर चोट दिखाई देती है वही बाइक एक्सीडेंट में ज्यादातर पैर से संबंधित चोट सामने आती है। वाहनों के प्रति हमारा अनुशासन बहुत कम हो गया है लोगों द्वारा सीट बेल्ट और हेलमेट का इस्तेमाल नहीं किया जाता है जिस वजह से कई बार एक्सीडेंट जानलेवा साबित होते हैं।

सवाल. आपने अपनी मेडिकल फील्ड की पढ़ाई किस क्षेत्र में और कहां से पूरी की है

जवाब. मैंने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई शहर के प्रतिष्ठित एमजीएम मेडिकल कॉलेज से पूरी की इसी के साथ एमएस ऑर्थोपेडिक की पढ़ाई एमजीएम मेडिकल कॉलेज एंड एमवायएच हॉस्पिटल से पूरी की। साथ ही मैंने ऑस्ट्रिया से एओ फैलोशिप प्रोग्राम में हिस्सा लिया। मेडिकल क्षेत्र में पढ़ाई पूरी होने के बाद मैंने संचेती हॉस्पिटल पुणे, सीएचएल हॉस्पिटल इंदौर और वर्तमान में शहर के प्रतिष्ठित डीएनएस हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दे रहा हूं। इसी के साथ वाईएन रोड पर अपना खुद का क्लीनिक भी संचालित करता हूं। मैं इंदौर ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन का अध्यक्ष भी रहा हूं।