महापौर चुनाव: इंदौर में महापौर का पद अनारक्षित, यह माने जा रहे है प्रमुख दावेदार

Shivani Rathore
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आज महापौर पद के लिए आरक्षण प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह तस्वीर साफ हो चुकी है कि इंदौर में सामान्य या पिछड़े वर्ग में से किसी भी वर्ग का पुरुष महापौर बनेगा। आरक्षण होने के बाद सभी दावेदारों ने आज से ही अपनी दावेदारी तेज कर दी है। इंदौर भाजपा का गढ़ माना जाता है इसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी की और से टिकट प्राप्त करना ही सबसे बड़ा चुनाव है। इसके चलते भाजपा से बड़ी संख्या में दावेदार सक्रिय हैं।

हाल ही में बड़े अंतर से सांवेर विधानसभा उप चुनाव जिताने की जवाबदारी निभा चुके विधायक रमेश मेंदोला प्रमुख रूप से महापौर पद के दावेदार हैं लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कभी भी नहीं चाहेंगे कि इंदौर के महापौर जैसा प्रमुख पद विधानसभा दो की झोली में जाए। इसके चलते पार्टी और कैलाश विजयवर्गीय के सहारे ही वे टिकट प्राप्त कर सकते हैं। वहीं पूर्व महापौर कृष्ण मुरारी मोघे भी प्रमुख रूप से दावेदार हैं। उनके अनुभव, पार्टी में समन्वय और वरिष्ठता के चलते एक बार फिर पार्टी उन्हें उम्मीदवार बना सकती है ग्वालियर में विवेक शेजवलकर को भी भाजपा ने दूसरी बार महापौर का टिकट दिया था और वे जीते भी थे। इसी का उदाहरण देकर श्री मोघे एक बार फिर दावेदारी कर सकते हैं। जबकि मधु वर्मा को नगर निगम आईडीए में रहते हुए किए गए विकास कार्य को ध्यान में रखते हुए पार्टी एक बार उन्हें महापौर का टिकट दे सकती है। पहले भी वे महापौर का चुनाव मात्र एक मत से हार चुके हैं।

भाजपा की ओर से गोपी कृष्णा नेमा और सुदर्शन गुप्ता को भी प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। वहीं कांग्रेस की ओर से गिने चुने नेता ही महापौर पद के दावेदार हैं इनमें प्रमुख रूप से जीतू पटवारी ,संजय शुक्ला छोटे यादव ,विनय बाकलीवाल में से कोई उम्मीदवार हो सकता है। जीतू पटवारी चूंकि वर्तमान में विधायक भी हैं और उनसे बेहतर कांग्रेस के पास महापौर पद के लिए कोई सक्षम उम्मीदवार नहीं है। वहीं संजय शुक्ला को भी विधायक रहते हुए महापौर का चुनाव लड़ाया जा सकता है हलांकि इसकी संभावना कम है। छोटे यादव लंबे समय से विधानसभा टिकट के दावेदार रहे हैं और नगर निगम में 5 बार पार्षद रह चुके हैं उनकी वरिष्ठता के चलते पार्टी उन्हें महापौर का चुनाव लड़ा सकती है। जबकि विनय बाकलीवाल को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की निकटता के चलते महापौर का टिकट दिया जा सकता है। वह भी नगर निगम में पार्षद रह चुके हैं।