इंदौऱ। दो सप्ताह की लम्बी खींचतान के बाद आलाकमान ने आज 72 प्रत्याशियों की सू्ची जारी कर दी है। इस सूची में मप्र की शेष बची पांच सीटे भी शामिल है। पहली सूची में प्रदेश की 24 सीटें शामिल थी। इस तरह मप्र में सभी 29 सीटों पर भाजपा की तस्वीर साफ हो गई है। प्रदेश की हाईप्रोफाइल इंदौर सीट को लेकर कई दावेदारों के नाम तेजी से चल रहे थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में 5.47 लाख मतों से जीत हासिल करने वाले शंकर लालवानी को आला कमान ने फिर से विश्वास करते हुए इंदौर संसदीय सीट का प्रत्याशी बनाया है। इंदौर नगर निगम के पार्षद के रूप में शुरू हुआ लालवानी का राजनीतिक सफर देश के सर्वोच्च लोकतांत्रिक संस्था संसद तक पहुंचा है। पिछले चुनाव में उनकी टक्कर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पंकज संघवी से हुई थी, लेकिन इस बार उनके सामने कौन होगा इसका खुलासा कांग्रेस की सूची आने पर ही होगा। लालवानी ने कभी विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा। वे पार्षद से सीधे सांसद बने है।
पहले पार्षद फिर सभापति
लालवानी का रिकार्ड उठाकर देखे तो वे 1994 से 1999 तक वे इंदौर नगर निगम में पार्षद रहें। इसके बाद 1999 से 2009 तक 10 साल वे इंदौर नगर निगम में सभापति के पद पर रहे। 2013 में उन्हें 5 साल के लिए इंदौर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया। 2019 में जब उन्हें भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा का टिकट दिया, तब वे लगभग साढ़े पांच लाख ऐतिहासिक वोटों से जीतें। सांसद बनने के बाद वे लोकसभा में हाउसिंग और अर्बन अफेयर्स की स्थायी समिति के सदस्य तो है ही। कमेटी ऑन एप्सेंस ऑफ़ मेम्बर फ्रॉम द सिटिंग ऑफ़ द हाउस के सदस्य भी हैं। इसके अलावा वे संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय की कंसल्टीव समिति के सदस्य भी हैं।
वार्ड अध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष
इंदौर नगर निगम के पार्षद के रूप में शुरू हुआ शंकर लालवानी का राजनैतिक सफर देश की सर्वोच्च लोकतांत्रिक संस्था संसद के सदस्य तक पहुंचा है। यह एक बहुत महत्वपूर्ण उपलब्धि है। शंकर लालवानी ने अपनी राजनीति में लगातार एक के बाद एक सीढ़ियां चढ़ी हैं। पार्षद बनने के पहले वे भारतीय जनता पार्टी के वार्ड अध्यक्ष और मंडल अध्यक्ष भी रहे हैं, लेकिन ये पद संगठन के पद है। पार्षद बनने के बाद उन्हें इंदौर महानगर परिषद में जनकार्य प्रभारी का दायित्व सौंपा गया। इसके बाद हुए नगर निगम चुनाव में वे इंदौर नगर निगम में सभापति पद पर रहे।
दो बार नगर अध्यक्ष, दो बार आईडीए अध्यक्ष
सभापति पद से मुक्त होने के बाद उन्होंने इंदौर नगर भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष का पद दो बार संभाला और दो बार ही इंदौर डेवलपमेंट अथॉरिटी के चेयरमैन भी नियुक्त हुए। इनमें से एक कार्यकाल ऐसा रहा, जब इंदौर डेवलपमेंट अथॉरिटी में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के पद रिक्त थे। यह एक बहुत ही चुनौती भरा दौर था, जिसे उन्होंने पूरी गंभीरता से निभाया और इंदौर के विकास को आगे बढ़ाया।