कर्नाटक से एक अनोखा मामला देखने को मिला है, जहां कोप्पल कोर्ट के जज ने एक चपरासी के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। दरअसल, जज चपरासी के 10वीं में 99 फीसदी अंक देखकर काफी हैरान थे, क्योंकि चपरासी को ठीक से पढ़ना-लिखना नहीं आता था। जिसके बाद जज ने चपरासी की 10वीं की मार्कशीट पर संदेह जताते हुए जांच के आदेश दिए हैं। 23 वर्षीय प्रभु लक्ष्मीकांत लोकारे कोप्पल कोर्ट में सफाईकर्मी का काम करते हैं।
हालांकि, इस उपलब्धि ने जज समेत सभी के मन में संदेह पैदा कर दिया, क्योंकि चपरासी कन्नड़ भाषा पढ़ने-लिखने में असमर्थ था। इसके बाद कोप्पल में JMFC जज ने पुलिस को प्रभु की शैक्षणिक योग्यता की जांच करने के निर्देश दिए हैं।
‘चपरासी के लिए हुआ था चयन’
प्रभु के खिलाफ 26 अप्रैल को FIR दर्ज की गई है। FIR दर्ज होने के बाद पुलिस ने प्रभु की मार्कशीट और स्कूलिंग की जांच की तो सच्चाई सामने आई कि प्रभु ने सिर्फ सातवीं क्लास तक ही पढ़ाई की है और कोप्पल कोर्ट में सफाई कर्मचारी के तौर पर काम करता है। इसके बावजूद उसका नाम 22 अप्रैल 2024 को चपरासी के पद के लिए जारी की गई अंतिम मेरिट चयन सूची में शामिल किया गया, जिससे उसकी पोस्टिंग यादगीर के जिला एवं सत्र न्यायालय में हुई थी।