नाइट कल्चर के विरोध पर छलका पुलिस आयुक्त का दर्द, कहा-इसके सकारात्मक पहलू को कोई सामने नहीं लाता

Deepak Meena
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इंदौर : पुलिस आयुक्त मकरंद देउसकर के दिल का दर्द आज झलक कर सामने आ गया। नाइट कलर को लेकर उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि हर संगठन इसका विरोध कर रहा है। सोशल मीडिया पर इसके नेगेटिव वीडियो वायरल हो रहे हैं। आज तक कोई भी नाइट कल्चर के सकारात्मक पहलू को सामने नहीं ला रहा है। देउसकर आज यहां अभ्यास मंडल द्वारा अपने 65 वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित अंतर विद्यालय भाषण प्रतियोगिता के समापन सत्र में विजेताओं को पुरस्कृत करते हुए संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि संस्कृति को कभी भी दिन की संस्कृति और रात की संस्कृति के रूप में विभाजित नहीं किया जा सकता है। संस्कृति हमेशा जीवंत होती है । समय के साथ संस्कृति भी परिवर्तित होती रहती है। हमें कुछ परिवर्तन अच्छे लगते हैं कुछ परिवर्तन को लेकर अलग राय होती है। इंदौर की छप्पन दुकान की सफाई, शहर का स्वच्छता का तमगा और अब मेट्रो रेल के रूप में एक नई सुविधा का आगमन परिवर्तन का संकेत है। अगले 8 से 10 सालों में जब मेट्रो रेल का प्रोजेक्ट पूरा होगा तो हमारी संस्कृति और अलग नए आयाम लेगी। तकनीक ,अधो संरचना का विकास और कानून में भी परिवर्तन नजर आएंगे ।

उन्होंने कहा कि रात के समय पर बाजार को खोलना एक प्रयोग है । रात में झगड़ा होना और सड़क पर डांस होने का वीडियो आप सभी ने देखा होगा। नेगेटिव चीज ज्यादा प्रचारित होती हैं। यदि हम किसी को ₹10000 देकर उसकी मदद कर दें तो वह किसी को भी मालूम नहीं पड़ेगा लेकिन यदि किसी को एक थप्पड़ मार देंगे तो उसका वीडियो वायरल हो जाएगा। चटपटी चीज वायरल होती है। जरूरत इस बात की है कि हम सकारात्मक चीजों को नहीं नकारें। आज तक कभी भी यह स्टोरी सामने नहीं आई होगी की रात में बाजार खोले जाने से गरीब पोहे वाले ने इतना व्यापार किया जिससे कि उसने बच्चे के स्कूल की फीस भर दी । सोशल मीडिया नाइंसाफी की जगह है।

उन्होंने कहा कि इस बात का सर्वे होना चाहिए कि रात में बाजार को खोले जाने से क्या फायदा हो रहा है ? इस फैसले के खिलाफ तो सारे संगठन है लेकिन अब तक वह उनमें से कोई भी लोग सामने नहीं आए हैं जिन्हे इस फैसले के कारण फायदा हो रहा है। अच्छी चीज हमारे लिए टेकन फॉर ग्रांटेड हो जाती है। जब शहर बढ़ता है तो बहुत से हालात को फेस करना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि किसी को भी समस्या नाइट कल्चर से नहीं है। शराब और पब के कलर से है। आपको यह ध्यान रखना होगा कि नाइट कल्चर शुरू होने से पहले भी शराब और पब का यह कल्चर रात में मौजूद था । आप शराब और पब के कल्चर का विरोध करें लेकिन उसे नाइट के कल्चर से नहीं जोड़े। पब व शराब पर सख्ती होना चाहिए । जनता का विरोध बढ़ेगा तो इनके खुले रहने का समय जो रात 12:00 बजे तक का है वह भी परिवर्तित हो सकता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों के द्वारा अपने कर्मचारियों के लिए खाने की सुविधा मांगी गई थी। किसी भी कंपनी ने अपने कर्मचारियों के लिए शराब पीने की सुविधा नहीं मांगी थी। रात में बाजार खोलने वाले मुद्दे पर कुछ भी धारणा बनाने से पहले हमें बहुत विचार करना होगा। हमें भावनाओं के आधार पर फैसला नहीं लेना चाहिए।

इस प्रतियोगिता में चमेली देवी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की हिमांशी सतवानी प्रथम, क्वींस कॉलेज की कामाक्षी कुमार द्वितीय और चोइथराम स्कूल माणिक बाग रोड की काव्य छाजेड़ तृतीय रही। इन तीनों विजेताओं को पुलिस आयुक्त एवं प्रेस्टीज इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर हिमांशु जैन के द्वारा पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत अभ्यास मंडल के अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता, नेताजी मोहिते, अशोक कोठारी, माला सिंह ठाकुर, वैशाली खरे, शफी शेख, हरेराम वाजपेई, मनीषा गौर, डॉ प्रकाश चौधरी, पल्लवी सुखटनकर ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षाविद् डॉक्टर राजीव झालानी ने की। कार्यक्रम का संचालन शेफाली मालवीय ने किया। इस प्रतियोगिता में निर्णायक के रूप में वरिष्ठ पत्रकार उज्जवल शुक्ला और साहित्यकार गरिमा दुबे मौजूद थे।

कल्चर में परिवर्तन हमेशा होता रहेगा – कलेक्टर

इस प्रतियोगिता का शुभारंभ कलेक्टर इलैया राजा ने किया। शुभारंभ समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी शहर अपने आप नहीं बनता है। इसे बनाने में स्वयं सेवी संगठन, बुद्धिजीवी और नागरिक अपना योगदान देते हैं। रात्रि कालीन संस्कृति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हम इसका गलत अर्थ निकलते हैं। संस्कृति का मतलब ड्रेस, भाषा, कार्य सभी चीजों से होता है। संस्कृति में परिवर्तन हमेशा होता है। जब शहर बढ़ने लगता है तो यह परिवर्तन नजर आने लगता है। आईटी सेक्टर के कारण आज हम दुनिया के संपर्क में हैं। इंदौर आईटी का हब बन रहा है। देश की अर्थव्यवस्था में पहले सबसे ज्यादा योगदान कृषि क्षेत्र का था। इस समय सबसे ज्यादा योगदान मैन्युफैक्चर और सर्विस सेक्टर का है। नाईट वर्किंग को नाइट कल्चर नहीं कहा जा सकता है। बीआरटीएस कॉरिडोर के 11.45 किलोमीटर क्षेत्र में यह व्यवस्था की गई है कि रात में दुकान खुली रहेगी। नशाखोरी एक बड़ा सामाजिक मुद्दा है। इससे स्कूल के बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं। हमें चाहिए कि हम नशा करने वाले व्यक्ति को अपराधी के नजरिए से नहीं देखें। यह स्थिति संवाद कम हो जाने के कारण बन रही है। शहर में लोग स्वार्थी हो गए हैं। किसी भी व्यक्ति को गलत काम करने से रोकना समाज की जिम्मेदारी है। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि कानून सख्त होने से समाज नहीं बदलता है।

1 लाख के इनाम की घोषणा

उन्होंने इस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार के रूप में ₹30000, द्वितीय पुरस्कार के रूप में ₹20000 और तृतीय पुरस्कार के रूप में ₹10000 तथा प्रोत्साहन पुरस्कार के रूप में चार बच्चों को 10 – 10 हजार रुपए देने की घोषणा की । इस तरह कलेक्टर के द्वारा ₹100000 के इनाम की घोषणा की गई।

नाइट कल्चर को लेकर क्या बोले बच्चे

– चमेली देवी पब्लिक स्कूल की हिमांशी सतवानी ने कहा कि नाइट कल्चर शुरू कर दिए जाने के कारण हर बड़ा शहर दिन और रात दौड़ता हुआ नजर आता है । मयखाने खुलवा दिए गए हैं । ऐसे में सुरक्षा को कड़ा करना और नियम का सख्ति से पालन करना जरूरी है । नियम तोड़ने वालों को दंडित करना भी आवश्यक है ।
– क्वींस कॉलेज की कामाक्षी कुमार ने कहा कि भारतीय समाज की पीड़ा में नाइट कल्चर एक नया अध्याय है । महानगरों की यह संस्कृति छोटे और बड़े शहर तक पहुंच गई है । हमारे परिवारों में 9 से 12 का रात का शो भी वर्जित था । वहां अब इस नाइट कल्चर के नाम पर अनैतिक कार्य नजर आ रहे हैं । इसके भयावह रूप को हम देख रहे हैं ।
– चोइथराम स्कूल की काव्या छाजेड़ ने कहा कि सराफा बाजार की चाट चौपाटी शुरू से ही रात के समय पर लगती रही है लेकिन उसमें हमें कभी डर महसूस नहीं हुआ । रात्रि कालीन संस्कृति तो हमारे देश में कई सालों से है । हम वैश्विक हो रहे हैं । बाजारीकरण और उदारीकरण को अपना रहे हैं । इस नाइट कल्चर के कारण दूसरे शहर से आए लोगों को रात में रोजगार मिल रहा है । जरूरत इस बात की है कि हम इसके सही अर्थ को समझें । पुलिस के संसाधन बढाए जाना चाहिए और माता-पिता को भी अपने बच्चों पर ध्यान देना चाहिए ।
– न्यू ग्रीन फील्ड पब्लिक एकेडमी की अवनी शर्मा ने कहा कि नाइट कल्चर से युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है । वह बीमारी का शिकार हो रहे हैं । लड़कियां असुरक्षित हो रही है ।
– चोइथराम स्कूल की अविकल इब्राहिम ने कहा कि रात की तो बात ही कुछ और होती है । मनोरंजन के कार्यक्रमों का आयोजन शुरू से ही रात में होता रहा है । हमें यह याद ध्यान देना होगा की रातें यादों से भरी हो पछतावे से नहीं ।
-जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल के प्रथमेश राव ने कहा कि संस्कृति के बिना जीवन का विनाश है । नाइट कल्चर अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित होता है । इससे नींद के वक्त में बदलाव हो रहा है जिसके कारण स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ रहा है ।
– सिका स्कूल की अवनी बलसारा ने कहा कि इससे व्यापार को बढ़ावा मिल रहा है । समाज का आर्थिक विकास हो रहा है । इसके साथ ही साथ जुआ, शराब और पब की संस्कृति का भी विकास हो रहा है।
– कोलंबिया कॉन्वेंट की श्रद्धा पाटीदार में कहा कि बदलाव ही जीवन का सार है । रात के समय पर काम करने वालों की सुरक्षा बड़ा मुद्दा है । यह समय की जरूरत है ।
– सिक्का स्कूल के प्रतिक नायक ने कहा कि नाइट कल्चर के कारण मनोवैज्ञानिक समस्या पैदा हो रही है । हमें सही और सकारात्मक दिशा में काम करना होगा ।
– सत्य साइ विद्या विहार की आरना सक्सेना ने कहा कि संस्कृति से हमारा सामाजिक ढांचा स्पष्ट होता है । हम जिस जीवन शैली को अपना रहे हैं वह हमारी संस्कृति नहीं है । यदि हमारे देश के वैज्ञानिक रात भर इसी तरह नाइट कल्चर में मौज मस्ती कर रहे होते तो क्या आज भारत का चंद्रयान उतर पाता ?
– प्रेस्टीज पब्लिक स्कूल की आराधना दुबे ने कहा कि विश्वास के समूह को उन्नत संस्कृति करती है । आज यह संस्कृति युवाओं को संक्रमित कर रही है । नशे और मारपीट की घटनाओं से सवाल उठते हैं । हम जीवन जीने की कला को भूल गए हैं ।
– प्रगया गर्ल्स स्कुल की राधिका श्रीवास्तव ने कहा कि रात का अंधकार अपराध को गढता है । जरूरत है कि हम अपने कारवां को सही दिशा में मोडे ।
मारथोमा हायर सेकेंडरी स्कूल की परिधि उपाध्याय ने कहा कि नाइट कलर के कारण भोर की बेला में सोने वाला व्यक्ति सूर्यास्त की बेला में ही जागेगा । ऐसे में तो हम सब उल्लू की प्रजाति के हो जाएंगे । इस कल्चर के परिणाम स्वरुप युवा समय से पहले बूढ़े हो रहे हैं।
– वेदांश स्कूल की सरसटी स्तुति ने कहा कि रात की चकाचौंध में कुदरती अंधकार गायब हो रहा है। ईश्वर की व्यवस्था का सम्मान करें ।
– श्री क्लाथ मार्केट वैष्णो बाल मंदिर की रीतिका बागोरा ने कहा कि इस व्यवस्था के कारण रात में निकलने में व्यक्ति घबराने लगा है । ऐसे में जरूरी है कि स्थान – स्थान पर विशेष सहायता केंद्र खोले जाएं । पूरे क्षेत्र को सीसीटीवी कैमरे के कवरेज में लिया जाए ।
– वैष्णव कन्या विद्यालय की सारिका प्रजापत ने कहा कि हमें बुराइयों से सीख लेने की जरूरत है ।
– माधव विद्यापीठ के अर्पण मालू ने कहा कि नाइट कल्चर में हो रही अप्रिय घटनाएं चिंता का विषय है । हमेशा इस बात का डर रहता है कि शराब के नशे में वाहन चलाते हुए वाहन चालक नियम के साथ-साथ इंसान को नहीं कुचल दे ।

शपथ दिलाई

इस कार्यक्रम के समापन के मौके पर पुलिस आयुक्त के द्वारा कार्यक्रम में शामिल सभी बच्चों को नशाखोरी और अपराधिक कृतियों से दूर रहने तथा सकारात्मक विचारधारा रखने की शपथ दिलाई गई ।