अर्जुन राठौर
जिस व्यक्ति ने पूरे देश को लूट कर अरबो रुपए की संपत्ति इकट्ठा की उसके साथ प्रकृति ने बड़ा क्रूर मजाक किया अंतिम समय में पार्थिव शरीर को मुखाग्नि देने के लिए बेटों तक का सहारा नहीं मिल सका इससे बड़ी दुर्भाग्य की बात और क्या हो सकती है। यह पूरी कहानी है सहारा श्री की जिन्हें सहारा श्री कहलाने का बड़ा अभिमान था अपने साम्राज्य को फैलाने के बाद सहारा श्री ने अपने तमाम संस्थानो में खुद के नियम कायदे लागू किए।
अपने आप को महान कहलाने में गर्व वे महसूस करते थे जी हां सुब्रतो राय जिनसे मिलने के लिए एक जमाने में बड़ी-बड़ी हस्तियां इंतजार किया करती थी उनके साथ अंतिम समय में मुखाग्नि देने के लिए उनके बेटे तक मौजूद नहीं थे, हिंदू धर्म में कहा जाता है कि जब तक बेटे पिता की चिता को अग्नि नहीं देते तब तक उनकी आत्मा को शांति नहीं मिलती , प्रकृति ने सुब्रतो राय को अंतिम समय में उनकी औकात बता दी। देश के लाखों लोगों को लूटकर उनकी आंखों में आंसू लाने वाले, उन्हें दरबदर की ठोकरे खाने के लिए मजबूर करने वाले सुब्रतो राय का इससे इससे ज्यादा दर्दनाक अंत नहीं हो सकता था।
सवाल इस बात का है कि उनके बेटे जो की विदेश की नागरिकता ले चुके हैं वे भारत क्यों नहीं आए उन्होंने अपने पिता की चिता को अग्नि क्यों नहीं दी, कहा जाता है कि सेबी के डर से वे नहीं आए लेकिन क्या वे सेबी की चुनौतियों का सामना करते हुए अपने पिता की चिता को अग्नि देने के लिए नहीं आ सकते थे अगर वे गिरफ्तार भी हो जाते तो क्या फर्क पड़ जाता ?
लेकिन ये पूरी कहानी यही साबित करती है कि प्रकृति का न्याय हमेशा अपने ढंग से चलता है देश को लूटने वालों को सहारा श्री की अंतिम समय की इस त्रासदी से सबक जरूर लेना चाहिए भले ही वे धोखा देकर अरबो रुपए की संपत्ति इकट्ठा कर लें लेकिन उनका अंतिम समय कैसा गुजरेगा इसका अंदाजा उन्हें सहारा श्री के अंतिम दिनों से लगा लेना चाहिए ।