सारिका सिंह की खनकती आवाज़ से जीवंत हो उठा मुजरा संगीत का पुराना सुनहरा दौर

Ayushi
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इंदौर। एक दौर था जब मुजरे सौंदर्य, तहज़ीब के साथ संगीत साधना के परिचायक थे। फिल्मों के सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशकों ने मुजरों के यादगार गीत रचकर उस सुनहरे दौर को इतिहास में दर्ज़ कराया है। स्टेट प्रेस क्लब के अनुष्ठान भारतीय पत्रकारिता महोत्सव के अंतर्गत पहली सांस्कृतिक संध्या में जब इंदौर से निकलकर देश भर में नाम कमा रही गायिका सारिका सिंह ने जब इन फ़िल्मी मुजरा गीतों को पूरी तैयारी के साथ पेश किया तो लगा कि मुजरा इतिहास के पन्नों से निकलकर रवींद्र नाट्य गृह में जीवंत हो गया.

शब्द की अस्मिता के अनुष्ठान भारतीय पत्रकारिता महोत्सव में देश भर के चुनिंदा पत्रकार पधारें हैं और दिन भर पत्रकारिता से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर गंभीर विमर्श के बाद स्टेट प्रेस क्लब ने उन्हें और शहर के संगीतप्रेमियों को सारिका सिंह की पुरकशिश आवाज़ में एक यादगार संध्या की दावत परोसी। कोरोना लॉकडाउन के बाद पहला बड़ा सांगीतिक आयोजन होने से शहर के संगीत प्रेमी बड़ी संख्या में अपनी प्रिय गायिका को सुनने पहुंचे और पहले ही गीत “इक राधा, इक मीरा” से जैसे ही सारिका सिंह ने रवींद्र जैन की अमर रचना की तान छेड़ी, सभागार तालियों से गूँज उठा,

सारिका सिंह ने लगातार अथक रियाज़ और बारीकियों पर ध्यान देकर अपनी गायिकी को इस कदर संवारा है कि आज देश भर में उसकी अलग पहचान और प्रतिष्ठा बन चुकी है. इसके बाद एक के बाद एक पाकीज़ा, उमराव जान, रज़िया सुलतान, राम-लखन, साहेब बीबी और गुलाम, शक्ति आदि फ़िल्मों के मशहूर मुजरा गीत – इन्हीं लोगों ने ले लेना दुपट्टा मेरा, ठांड़े रहियो ओ बांके यार, इन आँखों की मस्ती के, प्यार किया तो डरना क्या, ये क्या जगह है दोस्तों, पान खाये सईंया हमारों, अल्लाह ये अदा आदि आते गए और दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए. आख़िरी गीतों – हमरी अटरिया, मेरे ढोलना और हमने सनम को खत लिखा आदि तो सारिका सिंह ने पूरी तरह दर्शकों को अपनी गिरफ्त में ले लिया था।

सारिका सिंह के साथ यादगार संगत की इंदौर के सक्षम कलाकारों – नीतेश-भोला और उनके दल ने. लीड गिटार पर नितेश शेट्टी, कीबोर्ड पर योगेश पाठक भोला और रमेश यादव, सारंगी पर जगदीश बरोड़, तबले पर सचिन भोंसले और जयंत अकोदिया, ढ़ोलक पर रवि खेड़े और जयेन्द्र रावल, ऑक्टोपैड पर कपिल राठौर ने भी दर्शकों से खूब दाद बटोरी। कोरस का विभाग स्वरांश पाठक और उनके दल से संभाला। ग्लोबल साउंड और साउंड इंजीनियर मंदार वडकर ने भी बखूबी अपना काम किया। स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल के अलावा सुदेश तिवारी, आकाश चौकसे, कमल कस्तूरी, डॉ. अर्पण जैन आदि ने सभी कलाकारों के स्वागत किया। ये संगीत सभा अपने सुरों की उत्कृष्टता के कारण दर्शकों के मन में लम्बे समय तक बसी रहेगी।