नई दिल्ली। गुरुवार को पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण किया। राष्ट्रहित के मामले में हमारी विचारधारा को राष्ट्र के समर्थन के रूप में देखा जाना चाहिए ना कि देश के विरोध के रूप में।
कॉन्फ्रेंस में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि, किसी एक बात जिसने हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया है- वो है राष्ट्रहित से ज्यादा प्राथमिकता अपनी विचारधारा को देना…हमारी विचारधारा राष्ट्रहित के विषयों में, राष्ट्र के साथ नजर आनी चाहिए, राष्ट्र के खिलाफ नहीं। उन्होंने कहा कि ,”ये प्रतिमा देश को युवाओं के नेतृत्व में विकास के उद्देश्य के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी, जो स्वामी जी की अपेक्षा रही है। ये प्रतिमा हमें स्वामी जी के सशक्त-समृद्ध भारत के सपने को साकार करने की प्रेरणा देगी। मेरी कामना है कि JNU में लगी स्वामी जी की ये प्रतिमा, सभी को प्रेरित करे, ऊर्जा से भरे। ये प्रतिमा वो साहस दे, हिम्मत दे जिसे स्वामी विवेकानंद प्रत्येक व्यक्ति में देखना चाहते थे। ये प्रतिमा वो करुणाभाव सिखाए, दया सिखाए जो स्वामी जी के दर्शन के मुख्य आधार रहे हैं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि, “लोगों ने अपने वोट के माध्यम से देश की उन्नति के लिए हमारे सुधार उपायों का समर्थन किया, इन फैसलों के प्रति विश्वास जताया है। अच्छे सुधारों को खराब राजनीति माना जाता था, लेकिन हमारी नेक प्रतिबद्धता व इरादों के कारण अब इसे अच्छी राजनीति माना जाता है। एक चीज जिसने हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहुत नुकसान पहुंचाया है वह है राष्ट्रहित पर विचारधारा को प्राथमिकता देना।”
उन्होंने युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि, “युवा साथियों, छात्र जीवन खुद को पहचानने के लिए एक बहुत उत्तम अवसर होता है। खुद को पहचानना जीवन की बहुत अहम आवश्यकता भी होती है। मैं चाहूंगा कि आप इसका भरपूर उपयोग कीजिये। Idea sharing को, नए विचारों के प्रवाह को अविरल बनाए रखना है।” पीएम मोदी ने कहा कि, “हमारा देश वो भूमि है जहां अलग-अलग बौद्धिक विचारों के बीज अंकुरित होते रहे हैं और फलते फूलते भी हैं। इस परंपरा को मजबूत करना युवाओं के लिए आवश्यक है। इसी परंपरा के कारण भारत दुनिया का सबसे vibrant लोकतंत्र है।”