बाजार अपने बाजारवाद का स्थापित प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन इस बीच शिक्षा एक पवित्र कार्य है इसे बाजार समझना गलत है, इसमें आपकी भावनाओं का सही होना अनिवार्य है, श्रीद्वांत जोशी डायरेक्टर कौटिल्य एकेडमी

Share on:

इंदौर. मार्केट शब्द डिमांड और सप्लाई पर चलता है बाजार अपने बाजारवाद का स्थापित प्रतिनिधित्व करता है लेकिन इस बीच शिक्षा एक पवित्र कार्य है जिसमें आपकी भावनाओं का सही होना अनिवार्यता है। अगर आप शिक्षा को लेकर सही मन से कार्य करें तो चीजें बनती है वरना इसे बाजार समझने वाले लोगों के लिए यह सफलता नहीं देती है और ना ही उनका इस फील्ड में कोई स्थान बचता है। हम अक्सर देखते हैं कि भंवरकुआं चौराहे पर हर साल कई कोचिंग खुलती और बंद भी हो जाती है। उनका ज्यादा समय तक नहीं टिकना इस बात का प्रमाण है कि वह लोग शिक्षा को बाजार समझते हैं जो कि सही नहीं है। शिक्षा प्रदान करने वाले शिक्षक का कार्य तो बहुत सम्मानीय होता है वह समाज सेवा के साथ-साथ देश के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है एक बेहतर शिक्षक वह होता है जो स्टूडेंट को मानसिक रूप से तैयार कर उसे अपने मंजिल पर पहुंचाने का कार्य करता है। स्टूडेंट की सफलता ही शिक्षक के कार्य की पूर्णता है। यह बात कौटिल्य एकेडमी के डायरेक्टर श्रीद्वांत जोशी ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही। शहर में सिविल सर्विसेज और प्रतियोगी परीक्षाओं के क्षेत्र में कई आयाम स्थापित करने का श्रेय उनको जाता है।

सवाल. आपने शिक्षा क्षेत्र में कार्य करने के लिए इंदौर को ही क्यों चुना

जवाब. जब हमने अपनी क्लासेस की शुरुआत की उस दौरान शहर मै यह चलन हुआ करता था कि एक टीचर अपने सब्जेक्ट को लेकर अपने स्टूडेंट को पढ़ाया करते थे। इस वजह से स्टूडेंट को अलग-अलग सब्जेक्ट पढ़ने के लिए अलग-अलग स्थानों पर जाना पड़ता था। इसी को ध्यान में रखते हुए हमने यह प्लान किया कि स्टूडेंट का समय भी बर्बाद ना हो और उसे क्वालिटी ऑफ एजुकेशन देने के मकसद से टीम वर्क के साथ सारे सब्जेक्ट एक ही छत के नीचे पढ़ाए जाए। वहीं इंदौर एक ऐसा शहर है जहां पर बेहतर शिक्षा में बहुत ज्यादा अपॉर्चुनिटी है। और हमने शुरू से ही अपने टैगलाइन “परिश्रम आपका मार्गदर्शन हमारा सफलता सबकी” पर कार्य किया जिसकी बदौलत आज कई स्टूडेंट्स अपनी मंजिल पर पहुंच चुके हैं।

सवाल. कौटिल्य एकेडमी की शुरुआत कैसे हुई वही आपने अपनी शिक्षा किस क्षेत्र में और कहां से पूरी की है

जवाब. मैंने अपनी स्कूलिंग छत्तीसगढ़ के जगदलपुर से पूरी की है। अपनी स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने के बाद मैंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी और साथ में में गवर्मेंट सेक्टर में पीइटीसी में पढ़ाता था। फिर कुछ समय बाद में यूपीएससी के इंटरव्यू की तैयारी और जॉब अपॉर्चुनिटी के चलते में सन 2000 में इंदौर आया। यहां अपनी तैयारी के साथ में एक एनजीओ से जुड़ा जिसमें मैंने झाबुआ क्षेत्र में 45 दिन के प्रोजेक्ट पर शिक्षा प्रदान की वही मैंने वर्तमान में जो बाबा अंबेडकर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस महू है। उस समय इस कॉलेज में पूरे देश से यूपीएससी की तैयारी के लिए स्टूडेंट आते थे वहां मैंने अपनी सेवाएं दी। अपनी तैयारी के साथ टीचिंग का यह सफर निरंतर चलता रहा फिर एमपी सीजी अलग हो गए और वैकेंसी आना लगभग बंद हो गई थी। मैं अपने स्टूडेंट्स को टीचिंग प्रदान करता रहा और 2003 में एसटी, एससी स्टूडेंट के लिए बैकलॉग वैकेंसी आई उसी दौरान हमने अपने संस्थान कौटिल्य एकेडमी की स्थापना की उस परीक्षा में मेरी एक स्टूडेंट गजटेड ऑफिसर के रूप में सिलेक्ट हुई यहीं से मुझे शिक्षा के क्षेत्र में और बेहतर करने का लक्ष्य मिला।

सवाल. आप तो शहर में यूपीएससी की तैयारी के लिए आए थे घर वालों को कैसे बताया कि आपने कोचिंग स्टार्ट कर दी

जवाब. शुरुआत के सालों में तो बहुत ही मुश्किल था घरवालों को यह बताना कि हम अपनी कोचिंग क्लासेस चला रहे हैं लेकिन धीरे-धीरे नाम बनता गया और सफलता मिलती गई। मेरे अपनों ने भी मुझे कभी किसी चीज के लिए फोर्स नहीं किया। घरवालों को यह तो पता था कि मैं गवर्मेंट ऑर्गेनाइजेशन में पढ़ाता हूं वही मैंने अपने कोचिंग क्लास के बारे में भी जानकारी दी थी लेकिन यह किस प्रकार कार्य हो रहा है यह समझाना 3 सालों तक मुश्किल था। शुरुआत में नाम बनने तक बहुत ज्यादा संघर्ष करने की जरूरत पड़ी लेकिन हम कभी मार्ग से बाधित नहीं हुए और आज रिजल्ट सबके सामने है।

सवाल. कौटिल्य एकेडमी की स्थापना को लगभग 20 साल हो गए हैं आप इसे कैसे देखते हैं

जवाब. कई बार मन में विचार आता है कि शिक्षा के सफर में हमने 20 साल कौटिल्य में दे दिए हैं वही मन में एक विचार यह भी आता है कि इन 20 सालों में हमने शिक्षा के क्षेत्र में कितने आयाम स्थापित किए हैं आज हमारे हजारों स्टूडेंट देश के बेहतर मुकाम पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। और देश की तरक्की में भागीदार है एक शिक्षक के लिए इससे बड़ी खुशी और क्या हो सकती है। महज 18 स्टूडेंट से शुरू हुई कौटिल्य अकेडमी में आज हजारों स्टूडेंट्स देश के अलग अलग राज्यों में शिक्षा हासिल कर रहे हैं जिसमें राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और अन्य राज्य शामिल हैं इससे बड़ी सफलता और क्या हो सकती है। वही मेरा ऐसा मानना है कि इस शिक्षा के सफर ने कौटिल्य एकेडमी और टीचर से महत्वपूर्ण वह स्टूडेंट है जिन्होंने कौटिल्य अकेडमी पर विश्वास किया। शिक्षा के क्षेत्र में हमारी निरंतर सफलता के इस प्रयास को कई संस्थानों द्वारा सराहा भी गया है और हमारे कार्य को सम्मानित भी किया गया है।

सवाल. आज के दौर में स्टूडेंट की साइकोलॉजी पढ़ाई को लेकर कैसी है, आप कैसे देखते हैं

जवाब. वर्तमान समय में स्टूडेंट में एक चीज देखी गई है जिसमें उनकी साइकोलॉजी है इस तरह है कि वह जहां है उस शहर से बाहर जाकर शिक्षा हासिल करना चाहते हैं। मैं कई ऐसे स्टूडेंट और उनके माता-पिता से मिला हूं, जिनका बस एक ही लक्ष्य रहता है कि हमें बाहर जाकर शिक्षा हासिल करनी है कहां जाना है क्यों जाना है उनके लिए यह इंपोर्टेंट नहीं है। स्टूडेंट की यह मानसिकता है कि बाहर रहने से किस एक्जाम को ट्रैक किया जा सकता है लेकिन हमारा ऐसा मानना है कि ज्यादा इंपॉर्टेंट यह है कि जीवन में आपका लक्ष्य क्या है, वही उसके लिए आपकी रणनीति क्या है फिर उस रणनीति को आप कितना फॉलो करते हैं। कई ऐसे स्टूडेंट है जो दिल्ली में जाकर भी वापस आ जाते हैं और कई इंदौर में बैठे-बैठे टॉप कर लेते हैं। महत्वपूर्ण यह है कि आपका मार्गदर्शन और आपका हार्ड वर्क कैसा रहा।