The Kerala Story : ‘फर्स्ट-डे, फर्स्ट-शो’ पर फिल्म की विशेष स्क्रीनिंग, महिला दर्शकों में दिखा विशेष उत्साह

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इंदौर. (05 मई ) लव जिहाद के खतरों और इस षड्यंत्र के शिकार होने से बचने का संदेश है – “द केरला स्टोरी”। भारतभर की युवा बहनों व महिलाओं को मार्मिक संदेश देती इस फ़िल्म का विशेष शो संस्था सार्थक द्वारा शुक्रवार, 05 मई को एयरपोर्ट रोड स्थित सिने स्क्वायर मल्टीप्लेक्स में किया गया। इसमें बड़ी संख्या में बालिकाएं और महिलाएं उपस्थित रहीं।

 

पूर्व पार्षद एवं संस्था के प्रमुख दीपक जैन “टीनू” ने बताया कि धोखे या दबाव से धर्मांतरण के लिए विवश करना, संविधान की अवमानना करने के समकक्ष है। फ़िल्म में तर्क, तथ्य और प्रमाण के आधार पर एक कहानी को बुना गया है। युवाओं की संवेदनशील उम्र और अपरिपक्वता का फायदा उठाकर यदि कोई विचारधारा काम कर रही है, तो उससे कैसे बचा जाए, अब यह भी जानना, समझना और परखना अब बहुत बहुत जरूरी हो गया है। यह फिल्म केरल की 32 हजार महिलाओं की कहानी है। जिसमें दावा किया गया है कि इन महिलाओं का जबरन धर्म परिवर्तन करवाया गया और फिर सीरिया भेजा गया।

संस्था सार्थक की पहल पर प्रमुख रूप से शोभा पैठणकर, डॉ. उमाशशि शर्मा, माला सिंह ठाकुर, प्रो. ऋषिना नातू, अधिवक्ता ज्योति तोमर, विनीता धर्म, पार्षद कंचन गिदवानी, बरखा मालू, शिखा दुबे, संध्या यादव, नीता शर्मा, प्रिया चौहान प्राचार्य क्लॉथ मार्केट, दामिनी बिरथरे (एबीवीपी) सपना राठौड़ (क्षत्राणि संगम क्लब) आशा पाटिल (सर्व मराठी मंडल) रितु यादव (वूमेन प्रेस क्लब) मेघना जैन, अध्यक्ष जैन महिला संगठन, हर्षिता दवे डिबेटर, अंजना सिंह अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा, डॉ. वंदना जोशी, प्रोफेसर पत्रकारिता विभाग, जीएसीसी, दीपमाला कछावा, विभाग संयोजिका मातृशक्ति, सरिता परिहार, गुरु योग एकेडमी, डिंपल शर्मा सखी मंडल सहित 150 मातृशक्ति बहनें, कॉलेज विद्यार्थी उपस्थित रहीं।

संस्था सार्थक प्रमुख जैन ने बताया कि बीती 2 मई को सुप्रीम कोर्ट ने ‘द केरल स्टोरी’ के खिलाफ दायर की याचिकाओं पर सुनवाई से साफ इंकार कर दिया और कहा कि फिल्म को सेंसर बोर्ड से मंजूरी मिली है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा। धर्म परिवर्तन के लिए दबाव-प्रबंधन को बेनकाब करना, योजनाबद्ध षड्यंत्र को उजागर करना और सोची-समझी साजिश के खिलाफ जागरूकता के उद्देश्य से इस फिल्म का विशेष शो आयोजित किया गया। दरअसल, “द केरला स्टोरी” जैसी फ़िल्म का विशेष शो समाज के अलग-अलग वर्गों की बहनों को एकत्र करने का भी एक विनम्र प्रयास था।