मध्यप्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती शोभा ओझा ने आज जारी अपने वक्तव्य में कहा कि खरगोन जिले के झिरन्या में एक आदिवासी बच्ची के साथ हुई सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने हमारे प्रदेश को एक बार फिर कलंकित करते हुए, यह सिद्ध कर दिया है की प्रदेश में बढ़ रही दुष्कर्म और महिला अत्याचार की घटनाओं को रोकने में प्रदेश सरकार और उसकी पुलिस पूरी तरह से विफल और नाकारा साबित हो गई हैं।
घटना के आरोपी दरिंदों का अब तक गिरफ्तार न हो पाना पूरी तरह से शर्मनाक है, महिला आयोग ने पूरे मामले का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री और गृहमंत्री की अक्षम्य चुप्पी को घोर निंदनीय बताते हुए मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि दोषियों की अविलंब गिरफ्तारी और उन पर कठोरतम दंडात्मक कार्यवाही को वे स्वयं सुनिश्चित करें और प्रदेश को इस बात के लिए आश्वस्त करें कि प्रदेश में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को अब सख्ती से रोका जाएगा।
अपने बयान में श्रीमती ओझा ने कहा कि आधी रात को आए तीन बदमाशों ने, न केवल एक 15 वर्षीय नाबालिग के साथ दुष्कर्म की जघन्य घटना को अंजाम दिया बल्कि उसके भाई के साथ भी बेरहमी से मारपीट की। जिस तरह से समूची घटना को अंजाम दिया गया, क्या वह प्रदेश में कानून व्यवस्था की जर्जर हालत को बयान करने के लिए काफी नहीं है?
अपने बयान में श्रीमती ओझा ने आगे कहा कि ऐसा लग रहा है कि मानो मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में महिला अपराधों और दुष्कर्मों के मामले में आगे निकलने की कोई होड़ चल रही हो। खरगोन की घटना भी हाथरस की घटना जितनी ही शर्मनाक है, जिसने हम सभी को शर्मसार किया है।
अपने बयान के अंत में श्रीमती ओझा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से अपनी अपील दोहराते हुए कहा की खरगोन जिले के झिरन्या में घटित इस संगीन मामले में वह स्वतः पहल करते हुए, पुलिस को इस बात के लिए निर्देशित करें कि अपराधियों की शीघ्र गिरफ्तारी के साथ ही, उन पर कठोर दंडात्मक कार्यवाही हो। यदि इस मामले में भी अपराधियों और दुष्कर्मियों के बीच एक कठोर संदेश नहीं दिया गया तो प्रदेश में महिला अत्याचार करने वाले दरिंदों के हौंसले निश्चित ही और बुलंद होंगे।