आधुनिक हाथ की घट्टी “अनास” का अनाज जीवन को रखेगा स्वस्थ

Rishabh
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इंदौर: आज हम आपको शिवगंगा कार्यकर्ता विजेन्द्र सिंह अमलियार के द्वारा रचित ‘आधुनिक हाथ की घट्टी – जिसका नाम है ‘अनास’, उसके नए रूप में बनाने की अमुभूति और उनके विचार सामने प्रस्तुत करने जा रहे है।

इस रचना में बताया गया है कि हजारों साल से चली आ रही थी, हमारे जीवन को स्वस्थ बनाए रखने के लिए – हाथ से चलने वाली घट्टी है। हमारे बुजुर्ग इस घट्टी से आटा, दलिया और दाले बनाके खाते थे। उसमें भरपूर मात्रा मे नूट्रिशन ओर अन्य प्रकार के तत्त्व होते थे और स्वादिष्ट भोजन बनता था। पर कुछ सालों में नयी तकनीकी ने और अत्यधिक सुविधा पाने के लालच ने हमारी परंपरागत चलने वाली घट्टी को विलुप्त ही कर दिया और शीघ्रता की होड़ के लिए नयी तकनीकी से चलने वाली चक्कियों से आज आटा, दलिया, दालें बनतीं हैं। इन चक्कियों में दालें, आटा सभी गर्म हो जाते हैं और नूट्रिशन तत्त्व जलकर खत्म हो जाते हैं। इसी कारण मानव शरीर में अनेक प्रकार की बीमारियाँ होने लग गई हैं। प्रायः सभी ग्रामों के ग्रामवासियों ने अपने घर की हाथ से चलने वाली उन घट्टियों को बेकार मान कर, घरों से बाहर निकल दिया है। प्राचीन घट्टी चलाने में मेहनत ज्यादा है यह बात समझकर आज के समय में उन घट्टियों के दोनों पाटों (पत्थरों) पर ग्रामवासी कपड़े धोने ओर नहाने के में काम ले रहे हैं।

शिवगंगा समग्र ग्रामविकास परिषद ने दिया मौका-
कार्यकर्ता विजेन्द्र का कहना है कई शिवगंगा समग्र ग्रामविकास परिषद ने मुझे अपने हुनर को प्रकट करने का का मौका दिया ओर शिवगंगा ने मुझे अपने लिए नहीं, अपने समाज को आगे बढ़ने के लिए एक प्रेरणा दी। इसी प्रेरणा से हुनर सीखकर हमने शिवगंगा गुरुकुल धरमपुरी में हमने हाथ से चलने वाली घट्टी के ऊपर काम शुरू किया। 3 महीने तक कई बार छोटे-बड़े बदलाव करके हमें सफलता मिली और हमने हाथ से चलने वाली घट्टी को मोटर-चलित करके ऑटोमैटिक कर दिया। सबसे विशेष बात की इस घट्टी को ऐसा बनाया गया है कि इसकी गति हाथ से चलने वाली घट्टी के समान ही होती है और इसलिए इसमें प्राचीन घट्टी के जैसे ही न्यूट्रिशन तत्व जलते नहीं, संरक्षित ही रहते है। पोषक तत्त्वों को कोई नुकसान नहीं होगा और हमारा जीवन स्वस्थ बना रहेगा।

प्राचीन घट्टी को नाम दिया”अनास”
साथ ही कार्यकर्ता विजेंन ने इस नए मशीन घट्टी या चक्की का नाम हमने झाबुआ की पहचान देते हुए ‘अनास’ रखा है। आगे उन्होंने बताया है कि अब यह घट्टी किसानों की आय भी बढ़ायेगी, किसान अपने ही घर में रहकर तुवर; उड़द; चना; मूँग के दाल, गेहूँ और मक्का की दलिया, हल्दी; धनिया का पाउडर एवं अन्य प्रकार की फसलों को प्रोसेश कर सकेंगे और उस प्रोसेस किये उत्पाद की मार्केटिंग कर सकेंगे।

घट्टी से होंगे किसानों का फ़ायदा-
बता दें कि इस घट्टी के अविष्कार से शिवगंगा के छः आयाम – जल, जंगल, जमीन, जन, जानवर और नवविज्ञान हैं इनमें से एक आयाम जमीन संवर्धन है। उसमें से झाबुआ नेचुरल्स के माध्यम से किसानों को मार्केट भी उपलब्ध है। यह घट्टी हम सभी का स्वस्थ जीवन बनाये रखने के लिए बनायी गई है और इसी कारण हम जमीन माता से उगे सभी फसलों का सही स्वाद ले पायेंगे, स्वस्थ रह सकेंगे। उक्त आलेख विजेन्द्र सिंह अमलियार की बातचीत के आधार पर उनकी अनुभूति और विचारों को ज्यों का त्यों लिखने का प्रयास किया है।