नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने फर्जी बम धमकी कॉल्स को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। अब, एयरलाइंस और एयरपोर्ट्स को बम धमकी देने वाली कॉल्स करने वालों को ‘नो फ्लाई लिस्ट’ में डाला जाएगा, और साथ ही उन पर 1 लाख रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा। इसके अलावा, अगर किसी संगठन को इन धमकियों का जिम्मेदार ठहराया गया, तो उस पर 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। ये नियम 2023 के विमान (सुरक्षा) नियमों में हाल ही में किए गए संशोधन के बाद लागू हुए हैं।
विमान सुरक्षा नियमों में बदलाव
यह फैसला इस साल बढ़ते हुए फर्जी धमकी कॉल्स को लेकर लिया गया है। इन कॉल्स से न सिर्फ उड़ानें प्रभावित हो रही हैं, बल्कि यात्रियों और नागरिकों में पैनिक और असुविधाओं का माहौल भी बन रहा है। 2024 में तो एक हजार से ज्यादा धमकियों का सामना किया गया, जिनमें बम होने की झूठी जानकारी दी गई। इन धमकियों से एयरलाइंस और एयरपोर्ट्स को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा, जिसके चलते नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने विमान (सुरक्षा) नियम 2023 में संशोधन करने का निर्णय लिया है।
नए नियमों के तहत, 29A के तहत सुरक्षा के हित में किसी भी व्यक्ति को विमान में प्रवेश देने से मना किया जा सकता है। अगर महानिदेशक (बीसीएएस) को लगता है कि सुरक्षा को खतरा हो सकता है, तो वो ऐसे व्यक्तियों के विमान में प्रवेश पर रोक लगा सकते हैं। इसके लिए लिखित आदेश भी जारी किए जा सकते हैं। इससे एयरलाइंस और एयरपोर्ट्स की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और यात्रियों की जान को कोई खतरा नहीं होगा।
झूठी सूचना फैलाने पर पूरी तरह से रोक
विमान (सुरक्षा) नियमों में 30A के तहत झूठी सूचना फैलाने पर पूरी तरह से रोक लगाने का प्रावधान किया गया है। इसका मतलब है कि अब कोई भी व्यक्ति या संगठन ऐसा कुछ नहीं कर सकता जिससे फ्लाइट्स या एयरपोर्ट्स की सुरक्षा या नागरिकों की सुविधा को खतरा हो। इस कदम का उद्देश्य फर्जी धमकियों से निपटना और सुरक्षा बढ़ाना है, ताकि ऐसे मामलों में यात्रियों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
फर्जी कॉल्स से होने वाली समस्याएं
धमकी कॉल्स से न सिर्फ उड़ानों में देरी होती है, बल्कि लोगों को अत्यधिक मानसिक तनाव और पैनिक का सामना भी करना पड़ता है। ये कॉल्स अक्सर न केवल यात्रा योजनाओं को बाधित करती हैं, बल्कि सुरक्षा और जांच प्रक्रियाओं को भी प्रभावित करती हैं। इससे नागरिकों के लिए सुरक्षा के मुद्दे और भी जटिल हो जाते हैं, और उड़ानें भी लंबी जांच प्रक्रिया का सामना करती हैं।