High Court Hearing on Union Carbide Waste : यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को पीथमपुर में जलाने के फैसले पर उठी आपत्तियों के बीच सोमवार को हाईकोर्ट में अहम सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने मामले को लेकर मध्यप्रदेश सरकार के तर्क सुने।
सरकार ने मांगा 6 हफ्तों का वक्त
मध्यप्रदेश सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट के निर्देशानुसार, चार हफ्तों के भीतर कचरे को हटाने का आदेश दिया गया था। इस दौरान जनता में भ्रम और अफवाहों के कारण स्थिति बिगड़ गई। सरकार ने कचरा नष्ट करने और जनता को शांत करने के लिए 6 सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। अब अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी।
कंटेनरों को खाली करने की अनुमति मिली
महाधिवक्ता ने बताया कि जहरीले कचरे को 12 कंटेनरों में सुरक्षित पैक किया गया है, लेकिन इसे लंबे समय तक इनमें रखना संभव नहीं। कोर्ट ने इसे निर्धारित फैक्ट्री में खाली करने की अनुमति दी।
तीन चरणों में होगी कचरा नष्ट करने की प्रक्रिया
भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों की ओर से सीनियर एडवोकेट नमन नागरथ ने बताया कि हाईकोर्ट ने कचरा नष्ट करने की तीन-चरणीय प्रक्रिया तय की है:
- कचरे को इंसुलेटर में जलाकर नष्ट करना।
- फैक्ट्री को डिसमेंटल करना।
- प्रभावित जमीन को पुनः सुधारना।
पहला चरण शुरू हो चुका है और कचरे को भोपाल से पीथमपुर पहुंचाया गया है।
मीडिया को फेक न्यूज से बचने की हिदायत
कोर्ट ने सरकार से कहा है कि जनता में फैले असंतोष को दूर करे और सुझावों पर विचार करे। साथ ही मीडिया को निर्देश दिया कि जहरीले कचरे से जुड़ी कोई भी फेक न्यूज न प्रकाशित की जाए। केवल तथ्यात्मक जानकारी ही प्रसारित की जाए ताकि अफवाहें न फैलें।
सरकार की कोशिशें और जनता की उम्मीदें
सरकार की ओर से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर विशेषज्ञों की टीम के माध्यम से कचरा नष्ट करने की तैयारी की जा रही है। जनता की सुरक्षा और जागरूकता पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इस पूरे मामले पर अब 18 फरवरी को होने वाली सुनवाई महत्वपूर्ण होगी।