अगर कोई ग्राहकों को फर्जी बिल देकर टैक्स चोरी करता है, तो अब उसकी खैर नहीं क्योंकि सरकार ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने के लिए गुड्स एंड सर्विस टैक्स नेटवर्क को पीएमएलए के तहत लाने का फैसला लिया है। इसके लिए सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। जीएसटीएन को उन एंटिटीज की लिस्ट में शामिल कर दिया गया है। जिनकी जानकारी एड और फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट के साथ शेयर की जानी जरूरी है।
इसका मतलब यह साफ है कि अब जीएसटी से जुड़े मामलों में ईडी और एफआईयू सीधा दखल दे सकेंगे। साथ ही ईडी जीएसटी चोरी करने वालों फर्म, कारोबारी या इंस्टिट्यूट के खिलाफ सीधे कार्यवाही करने के लिए आगे आ सकता है। इससे ईडी को जीएसटी चोरी से जुड़े मामलों में काफी मदद मिलेगी।
सूत्रों के अनुसार, जीएसटी नेटवर्क का डेटा ईडी और एफाईयू के साथ साझा किया जाएगा। इस लिस्ट में अब कूल 26 एंटिटीज हो गई है। अगर एफआईयू और ईडी को किसी जीएसटी एसेसी का फॉरेस्ट ट्रांजैक्शन संदिग्ध लगता है तो वह इस बारे में जानकारी जीएसटीएन के साथ साझा करेंगे। ईडी फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन के मामले की जांच कर रही हैं। इस माले में यह सामने आया हैं की कुछ लोगों ने चोरी के पैन और आधार का इस्तेमाल करके जीएसटी रजिस्ट्रेशन के एक मामले की जांच कर रही हैं। इस मामले में यह सामने आया है कि कुछ लोगों ने चोरी के पैन और आधार का इस्तेमाल करके जीएसटी रजिस्ट्रेशन किया और मनी लांड्रिंग के लिए शेल कंपनियां बनाई।