नई दिल्ली, 29 नवंबर 2021, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि संसद सत्र के पहले दिन ही संसद के दोनों सदनों से कृषि कानून निरसन विधेयक पारित होना प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की कथनी और करनी की एकरूपता का परिचायक है। केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि कृषि सुधार कानून को भारत सरकार किसानों की भलाई के लिए लाई थी। भारत सरकार ने पूरी संवेदनशीलता के साथ आंदोलनरत किसान संगठनों से चर्चा की और हमें दुख है कि कृषि सुधार कानून के लाभ समझाने में हम सफल नहीं हुए।
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यह आजादी के अमृत महोत्सव का वर्ष है, पुराने संकल्प पूरे करना है, नए संकल्प लेकर आगे बढ़ना है इसलिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने देश को ध्यान में रखते हुए 19 नवंबर को गुरू नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर इन तीनों कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी, जिसके बाद 24 नवंबर को मंत्रिमंडल की बैठक में तत्संबंधी प्रस्ताव पारित किया और जैसा उन्होंने कहा था, उसी अनुसार संसद सत्र के पहले दिन ही, यानी आज 29 तारीख को ही तीनों बिलों को पार्लियामेंट ने भी वापस कर दिया है, यह प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की कथनी और करनी की एकरूपता का परिचायक है।
श्री तोमर ने कहा कि कृषि सुधार कानून जब आए थे तो व्यापक रूप से चर्चा हुई थी, विपक्ष के लोग भी यह मांग कर रहे थे कि इन्हें वापस लिया जाए और सत्तापक्ष भी जब इसके लिए तैयार हो गया तो मैं समझता हूं कि यह विषय सर्वसम्मत था। वैसे अगर संसद में शांति होती तो लोक सभा अध्यक्ष महोदय ने बार-बार यह कहा कि आप लोग अपनी सीट पर बैठें तो मैं चर्चा करवाने को तैयार हूं। यदि चर्चा होती तो निश्चित रूप से उसका जवाब दिया जाता।
केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी कृषि और किसानों के हितों के प्रति प्रतिबद्ध हैं। केंद्र सरकार ने गत 7 वर्षों में अनेक योजनाओं के माध्यम से कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने की कोशिश की है। श्री स्वामीनाथन जी की सिफारिशों के अनुसार एमएसपी लागू की गई है और एमएसपी पर फसलों की खरीद की वर्ष 2014 से तुलना करें तो यह लगभग दोगुनी हो गई है। पहले गेहूं और धान दो ही फसल एमएसपी पर खरीदी जाती थी, उसके बाद प्रधानंमंत्री श्री मोदी जी के नेतृत्व में दलहन, तिलहन और कपास की खरीद भी प्रारंभ हुई। छोटे किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए, उनकी ताकत बढ़ाने के लिए देश में 10 हजार एफपीओ बनाने की घोषणा की गई है, जिस पर काम प्रारंभ हो गया है। इस महत्वपूर्ण योजना पर केंद्र सरकार 6,850 करोड़ रुपए खर्च करने वाली है। ये एफपीओ बनने के बाद इनके माध्यम से निश्चित रूप से खेती में बहुत परिवर्तन आने वाला है।