अधिकारी के नाम पर पहचाने जाने लगा था किले का गेट, जानकी यादव के नाम पर हो गया था प्रचलित

Shivani Rathore
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बड़वानी ज़िले में सेंधवा किले के एक गेट का आलम यह था कि यह दिखाई भी नहीं देता था। इसमें बड़ी संख्या में अतिक्रमणकारियों ने क़ब्ज़ा कर रखा था। उस समय तहसीलदार द्वारा एक ही रात में इसे अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराकर गेट खुलवाया गया था और रोड़ का निर्माण भी दूसरे दिन से प्रारंभ कराया था। इस काम के कारण सेंधवा किले के इस गेट का नाम जानकी द्वार प्रचलित हो गया था। वर्ष 2008 से 2012 के दरम्यान की यह घटना है। उस समय जानकी यादव वहाँ तहसीलदार के पद पर पदस्थ थी। किसी अधिकारी के द्वारा किए गए नेक काम पर नामकरण होना कर्मठता का परिचायक है। लगभग 32 वर्षों की सेवाओं के बाद आज संभागायुक्त कार्यालय में उपायुक्त राजस्व के पद से सुश्री जानकी यादव सेवानिवृत्त हुईं। संभागायुक्त श्री दीपक सिंह सहित संभागायुक्त कार्यालय के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों ने कमिश्नर कार्यालय में आयोजित विदाई समारोह में उन्हें भावभीनी विदाई दी और उनके द्वारा किये गये कार्यों को सराहा।

उच्च शिक्षित जानकी यादव ने मार्च 1992 में नायब तहसीलदार टप्पा रामपुरा जिला मंदसौर से अपनी सेवाएँ प्रारंभ की थी। उन्होंने 1985 में नागपुर से बी.ई. इलेक्ट्रिकल की शिक्षा ग्रहण की। मंदसौर के बाद वे भानपुरा, उज्जैन, सेंधवा, खरगोन, खंडवा में भी पदस्थ रही। डिप्टी कलेक्टर खंडवा रहते हुए उन्होंने एसडीएम पंधाना, पुनासा और उप जिला निर्वाचन अधिकारी का दायित्व निभाया। मई 2017 में वे भू अर्जन एवं पुनर्वास अधिकारी कुक्षी पदस्थ हुई। यहाँ रहते हुए कुक्षी, डही, बड़वानी में सरदार सरोवर के डूब क्षेत्र के 104 ग्रामों में विस्थापितों का सफल पुनर्वास कराया। बाद में सुश्री यादव ने एसडीएम भाबरा सहित आलीराजपुर में सहायक आयुक्त ट्राइबल और जिला शिक्षा अधिकारी के अतिरिक्त दायित्व का निर्वहन भी किया।

संभागायुक्त श्री दीपक सिंह ने विदाई समारोह में अपने संबोधन में सुश्री जानकी यादव को सादा जीवन उच्च विचार का पर्याय बताते हुए उनकी सेवाओं को सराहा। सभी अधिकारी -कर्मचारियों ने उनके आगामी स्वस्थ एवं निष्कंटक जीवन की कामना की। श्रीमती जमुना भिड़े श्री संजय सराफ, श्री जयेंद्र विजयवत श्रीमती शैली कनाश श्री विजय देशपांडे श्री पवन जैन सहित अन्य अधिकारी कर्मचारियों ने उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किया।