स्मार्ट सिटी बन रहे इंदौर शहर में कुछ बातें कलंक का काम भी कर रही है यदि आप सराफा बाजार सहित शहर के अन्य बाजारों से गुजरे तो पता चलेगा कि खाने पीने की जितनी भी वस्तुएं फुटपाथ पर दुकानों के बाहर बिक रही है उन्हें न तो ठीक से ढका जा रहा है और ना ही उन्हें मच्छर तथा मक्खियों से बचाने का कोई इंतजाम है ।
सड़क किनारे से उड़ती हुई धूल सराफा बाजार सहित अन्य दुकानों में बिक रही वस्तुओं मिठाइयों की चासनी में मिलती रहती है और जब कोई व्यक्ति इन मिठाइयों तथा अन्य वस्तुओं को खाता है तो तुरंत बीमार होता है देखा जाए तो सड़कों के किनारे बिक रही तमाम खुली वस्तुओं पर रोक लगाने का काम खाद्य तथा औषधि विभाग का है लेकिन इस विभाग में लापरवाही का आलम यह है कि न तो यहां के इंस्पेक्टर निरीक्षण करते हैं और कहा तो यह भी जाता है की दुकानों से इनकी सेटिंग रहती है।
बड़ी मिठाइयों की दुकानों में जिस तरह से मिठाइयों को ढक कर रखा जाता है उसके ठीक विपरीत सर्राफा बाजार में फुटपाथ तथा दुकानों के ओटलों पर बैठने वाले मिठाई दुकानदार खुलेआम संक्रामक बीमारियों को न्योता दे रहे हैं क्या विभाग के अधिकारियों को यह दिखाई नहीं देता है कि खुलेआम सड़क किनारे इस तरह से मिठाईयां कैसे बेची जा सकती है।
जहां पर दुकानदार बैठे हैं उन होटलों के पास से दिन भर में हजारों वाहन गुजरते हैं और इन सब से उड़ने वाली धूल और मिठाइयों में मिल जाती है जाहिर है कि स्मार्ट सिटी बनने वाले इंदौर में बीमारियां फैलाने का खतरनाक खेल चल रहा है और इसमें खाद्य तथा औषधि विभाग की भी मिलीभगत है ।