Pradosh Vrat 2023: मार्गशीष माह के इस दिन रखा जाएगा पहला रवि प्रदोष व्रत, भगवान शंकर समेत बरसेगी सूर्यदेव की विशेष कृपा, जाने पूजा का शुभ मुहूर्त और सही पूजन विधि

Simran Vaidya
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Pradosh Vrat 2023: सनातन धर्म में प्रत्येक तिथि प्रत्येक व्रत का खुद का एक अलग और विशेष महत्व बताया गया है। जहां प्रत्येक मास में एकादशी के साथ ही शिव शक्ति के अतिप्रिय व्रत अर्थात प्रदोष तिथि का आरंभ होता हैं। मगर इस व्रत से किसी न किसी भगवान-माता का नाता जरूर देखने को मिलता है। वहीं बात करें प्रदोष उपवास की तो यह तिथि पूर्णतया देवों के देव महादेव और जगत जननी मां पार्वती को समर्पित होता हैं एवं इस व्रत को करने से भगवान शिव शक्ति की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है। यह व्रत प्रत्येक मास की तेरस अर्थात त्रयोदशी को प्रदोष व्रत पड़ता है।

ऐसी हिंदू पौराणिक मान्यता है कि इस उपवास को रखने से भगवान शंकर का विशेष आशीर्वाद मिलता हैं और वह अपने परम श्रद्धालुओं से जल्द ही खुश होते हैं। जिस तरह ग्यारस तिथि का उपवास जगत के पालनहारे अर्थात श्री हरि विष्णु से संबंधित होता है उसी तरह प्रदोष उपवास भगवान शिव और शक्ति से संबंधित है। जिसे हर मास में पड़ने वाले प्रदोष उपवास का बेहद खास और अलौकिक महत्व बताया गया है। चलिए जानते हैं इस बार की त्रयोदशी अर्थात प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा। साथ ही जानेंगे इस व्रत की पूजा का शुभ और सही मुहूर्त।

त्रयोदशी तिथि का शुभ मुहूर्त

  • रवि प्रदोष उपवास – 10 दिसंबर 2023 दिन इतवार।

     

  • प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त – 10 दिसंबर 2023 दिन इतवार की सायंकाल 5 बजकर 25 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 8 मिनट तक।

     

  • व्रत की अवधि – 2 घंटे 44 मिनट तक।

     

  • त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ वक्त – 10 दिसंबर 2023 दिन इतवार प्रभात 7 बजकर 13 मिनट से प्रारंभ।

     

  • त्रयोदशी तिथि की समाप्ति – 11 दिसंबर 2023 दिन सोमवार की दिन में 7 बजकर 10 मिनट पर होगा अंत।

रविवार त्रयोदशी व्रत का लाभ

हिंदी पंचांग के मुताबिक प्रत्येक मास को पड़ने वाले प्रदोष उपवास का एक अलग और खास महत्व बताया गया है। इतवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष उपवास को रवि प्रदोष या भानु प्रदोष व्रत भी कहते हैं। जो शिव के परम अनुयायी इस दिन विधि विधान पूर्वक व्रत रखते हैं। उनके जीवन में सुख-शांति, और हंसी खुशी सहित दीर्घायु प्राप्त होती है। रवि प्रदोष का उपवास रखने से भगवान शंकर का परम आशीष तो मिलता ही है। जिसके साथ ही भास्कर भगवान सूर्य देव का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है और मनुष्य को जीवनभर अपार सफलता के साथ ही पुण्य की प्राप्ति भी होती हैं। इस तिथि को रखने भगवान सूर्यदेव खुद यश, कीर्ती, मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा इन सब फलों को जातक की झोली में डाल देते हैं। ऐसे में रवि प्रदोष उपवास रखने से जातक दीर्घायु होता हैं।