नई दिल्ली। संसद के अंदर और बाहर अकाली दल की अगुवाई में विपक्षी पार्टियां तीनों कृषि कानून बिल के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं। वही दूसरी ओर केंद्र ने साफ किया है कि प्रदर्शन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई है, सरकार की तरफ से उनके परिवार को किसी तरह का मुआवज़ा नहीं दिया जाएगा। वहीं इस दौरान जब सरकार से पूछा गया कि क्या वह जानती है कि महीनों से चल रहे इस आंदोलन में कितने लोग बीमार पड़े या मारे गए, इस पर सरकार ने लिखित जवाब दिया है कि उसके पास ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है और इस मसले पर किसी तरह के मुआवज़े का प्रस्ताव नहीं है।
वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार ने किसान यूनियन से बातचीत के दौरान कहा था कि वह कोविड और ठंडे के चलते औरतों, बुजुर्गों और बच्चों को घर भेज दे। केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि कानून-व्यवस्था राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और इसलिए केंद्र के पास इससे होने वाली मौतों का कोई ब्यौरा नहीं है। यह मसला पंजाब चुनाव की वजह से राजनीतिक तूल पकड़ता जा रहा है।
आपको बता दें कि, 9 जुलाई को शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि, प्रदर्शन में 550 किसान मारे गए और अगर राज्य में उनकी सरकार आती है तो मृतक के परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी, बच्चों और पोते-पोती को पोस्ट ग्रैजुएशन तक मुफ्त शिक्षा और परिवार को बीमा कवर दिया जाएगा। वहीं इससे पहले पंजाब की कांग्रेस सरकार ने कहा कि मृतक के परिवार को पांच लाख का मुआवज़ा दिया जाएगा। साथ ही मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का दावा है कि पिछले हफ्ते 191 परिवारों को रकम मिल भी चुकी है। सीएम ने नौकरी देने का भी वादा किया है और कहा है कि उसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
वहीं इस बीच केंद्र सरकार ने कहा है कि वह किसान यूनियन के साथ चर्चा के लिए सदैव तैयार है। तोमर ने कहा है कि इस मसले को सुलझाने के लिए केंद्र, किसान यूनियन से गंभीर और संवेदनशील बातचीत करती आ रही है।