डॉ सन्तोष पाटीदार
इंदौर (Indore News) : गांव से नगर व नगर से लेकर संसद तक खेती किसानी पर केंद्र सरकार किसानों के चक्रव्यूह में उलझी हुई है। इसी बीच संघ परिवार के भारतीय किसान संघ की एक बड़ी व आंतरिक बैठक कल 26 व 27अगस्त को इंदौर में हो रही है। इस बैठक में किसान संघ के करीब 15 ताकतवर पदाधिकारी भाग ले रहे है। बैठक में नए अढ़ाई कृषि कानूनों में सुधार के साथ एमएसपी न्यूनतम समर्थन मूल्य को लागू कराने के साथ संगठन को मजबूत बनाकर देश भर में करीब सवा करोड़ किसानों को सदस्य बनाने के लक्ष्य पूरा करने पर बात होगी।
अब संघ ने स्पष्ट किया है कि एमएससी पर सरकार को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। संघ की मांग है कि एमएससी से ही किसान का भला होगा। इस मांग के लिए धरना प्रदर्शन की तैयारी की जाएगी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि किसान संघ एक हद तक ही, मोदी सरकार की ख़िलापत करेगा। किसान संघ की मांगे अपनी जगह उपयुक्त है और इनके लिए वह संघर्ष करता रहा है। इसकी नीतियों व कार्य मे संघ या सरकार का कोई सीधा दखल नही है।
किसान संघ न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपने ही संघ परिवार के अनुषांगिक संगठन भाजपा की मोदी सरकार की नीतियों से कुछ महत्वपूर्ण मसलों पर इत्तेफाक नही रखता है। नए कृषि कानून की ख़िलापत में करीब 10 माह पूर्व शुरू हुए आंदोलन की ख़ूबसारी उठापटक करने व कराने के बाद भी आंदोलन जारी है। आंदोलन की एमएसपी की मांग किसान संघ पहले से करता रहा है। संघ ने कानून में जरूरी संसोधन भी सरकार के समक्ष पेश किए थे।
भाजपा की सरकार में किसान संघ अपनी मांगों को दबाव पूर्वक मनवा लेता है । सरकार से सहज संवाद होता है। विरोधी दल की सरकार मे किसान संघ को प्रतिकार का सामना करना होता है। इस समय मोदी सरकार के खिलाफ किसान आंदोलन आमने- सामने की राजनीतिक लड़ाई लड़ रहा है। ऐसे मे संघ परिवार, भारतीय किसान संघ के माध्यम से आंदोलनकारी किसान संगठनों की धार को बोथरा करना चाहेंगा।इसकी वजह आगामी उप्र के चुनाव व बाद में आम चुनाव का होना है।
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केंद्र सरकार की बैठक पर नजर
इन सब कयासों के बीच भाकिसं की इंदौर में हो रही संघ के कद्दावर नेताओ की इस बैठक पर केंद्र सरकार की नजर रहेगी। कोशिश होंगी कि प्रमुख मुद्दों व मांगो पर किसान संघ के साथ सरकार की सहमति बन जाये।इसका श्रेय किसान संघ को जाएगा । स्वाभाविक है इसका सीधा लाभ भाजपा को मिलेगा। हालांकि किसान संघ के क्षेत्रीय संगठन मंत्री महेश चन्द्र चौधरी इस बैठक को संगठन की आंतरिक बैठक बताते हुए कहते है इस तरह की नियमित राष्ट्रीय बैठकों में संगठन को मजबूत करने व भविष्य के कार्यक्रम का काम होता है। खेती किसानी पर सहज चर्चा स्वाभाविक है।