राजधानी भोपाल से रोज बनता है दबाव, इंदौर से वसूली नही होगी तो फिर फिर कहा से होगी

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नितिनमोहन शर्मा। शहर के बिगड़े ट्रेफिक ओर धूलधूसरित ट्रेफ़िक बंदोबस्त पर सांसद शंकर लालवानी की अगुवाई में हुई अहम बैठक में ट्रेफ़िक अमले ने खुलकर अपनी बेबसी बताई। लगातार लोगो के निशाने पर रहने वाले यातायात विभाग में भरी बैठक में ये कहकर सबको चौका दिया कि भाईसाहब, किसको अच्छा लगता है वार त्यौहार लोगो को पकड़कर चालानी कार्रवाई करना। हम भी नही चाहते लेकिन रोज शाम को भोपाल से फरमान आ जाता कि आज इतनी कम चालानी कार्रवाई क्यो हुई? इंदौर जैसा शहर है। जरा दबाकर बनाओ चालान। इस शहर से ही कम पैसा भेजोगे तो बाकी शहरों से क्या उम्मीद करें? नतीजतन सुबह से रसीद कट्टे लेकर चौराहों पर डटना पडता है। ट्राफ़िक संभालने की बजाय वसूली पर फोकस करना पड़ता है ताकि शाम को फिर भोपाल से डॉट नही पड़े।

महत्वपूर्ण बैठक में ट्रेफ़िक अमले ने सांसद को बताई अपनी बेबसी

मध्य क्षेत्र की यातायात व्यवस्था चरमराई। सबने रस्म अदायगी की। ख़ुलासा फर्स्ट शहर के दर्द के साथ जुड़ा। असर हुआ। सबको बिगड़ा ट्रेफ़िक महज एक फोटो लगाने की रस्म अदायगी से आगे की समस्या दिखने लगा। नतीजतन महापौर तो सक्रिय थे ही, सांसद शंकर लालवानी में भी मैदान पकड़ा। पुलिस और ट्रेफिक के अधिकारियों के साथ बैठक की। एक पूर्व विधायक ने त्यौहार पर चालानी कार्रवाई के विरोध में पत्र भी लिखा। नागरिक समाज की जवाबदेही भी ख़ुलासा फर्स्ट ने तय की। अब इंदोरियो को ये जानकर हैरानी होगी कि जिस ट्रैफ़िक अमले को आप ओर हम त्यौहार पर भी चालान बनाने के लिए कोस रहे है, उस अमले को रोज वसूली के लिए भोपाल से बोला जाता है। ये भी कहा जाता है कि इंदौर से वसूली नही हो सकती तो फिर प्रदेश के किस शहर से उम्मीद करें।

बैठक में ट्रेफ़िक विभाग के अफसरो ने अमले की कमी की बरसो पुरानी समस्या को भी सामने रखा कि हर बार वार त्यौहार या किसी बड़े मूवमेंट्स पर आसपास से बल बुलाना पड़ता है। थानों से जो बल मिलता है वह एक पॉइंट पर ही टिक जाता है। जबकि अतिरिक्त बल का मूवमेंट्स भी यातायात अमले के अनुरूप हो तो ट्रेफ़िक संभल जाए।
यातायात विभाग की तरफ से एक ओर सनसनीखेज खुलासा इस बैठक में हुआ जिसे सुनकर सांसद लालवानी भी हैरत में रह गए।

सांसद की बैठक में बड़ा ख़ुलासा- सिटी बस अब सरकार नही, ठेकेदार चला रहे, बस से नगर सेवा बन गई शहर की सिटी बस

अधिकारियों ने बताया कि सिटी बसें ( ए आई सी टी एस एल ) सरकारी सिस्टम का हिस्सा है लेकिन अब अधिकांश ठेके पर चल रही है। कुछ ऑपरेटर को तो कुछ ड्राइवर कंडक्टर को ठेके पर दे दी कि शाम को हमको एकमुश्त इतने रुपये दे देना। इसके बाद सिटी बसे अब नगर सेवा, मैजिक जैसी हो गई है। कोई निर्धारित स्थान पर स्टॉपेज नही। जहा हाथ दिया वही रुककर सवारी बैठाने से आये दिन शहर की प्रमुख सड़को पर जाम लग रहा है। इन बसों पर 500 रुपये की चालानी कार्रवाई करो तो सिटी बस कम्पनी का दबाव और प्रभाव सामने आने लगता है। ओवरलोडिंग ओर मनमर्जी से स्टॉपेज की समस्या इसी ठेके से देने की नीति से आ रही है।

ट्रेफ़िक अमला कम, सांसद बोले- लिखकर दो में करवाता हूं

बैठक में अधिकारियों ने कम स्टाफ की भी चर्चा की एवं कहां की बढ़ती हुई जनसंख्या के हिसाब से स्टाफ और अधिक चाहिए। सांसद लालवानी ने अधिकारियों को कहा कि आप एक पत्र अपने उच्च अधिकारियों को लिखकर उसकी प्रतिलिपि दीजिए, मैं गृहमंत्री एवं मुख्यमंत्री से बात करूंगा। सांसद लालवानी ने यह भी निर्देश दिए कि यातायात मित्रों की सेवा भी इस दौरान ली जाए लेकिन इसके पहले आम जनता से अच्छा व्यवहार करने के लिए उन्हें समझाएं।

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बैठक में ये थे मौजूद

पुलिस कंट्रोल रूम में हुई इस बैठक में पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी, एडिशनल कमिश्नर मनीष कथूरिया, राजेश हिंगणकर, डीसीपी आर के सिंह, अमित तोलानी, एडिशनल डीसीपी ट्राफिक अनिल पाटीदार, डीएसपी ट्राफिक बसंत कोल, संतोष उपाध्याय आदि अधिकारी मौजूद थे।