ब्लड प्रेशर पर योग का सबसे ज्यादा असर, डॉ. भरत साबू ने बताए इसके प्रभाव

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इंदौर: शहर के डायबिटोलॉजिस्ट डॉ. भरत साबू ने डायबिटीज और ब्लड प्रेशर पर शवासन के प्रभाव पर केंद्रित रिसर्च पेपर तैयार किया। उनकी रिसर्च को यूरोपियन सोसायटी ऑफ एंडोक्रिनोलॉजी की अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में टॉप 20 रिसर्च पेपर में स्थान मिला है। यह कॉन्फ्रेंस विश्व की सबसे बड़ी डायबिटीज और एंडोक्रिनोलॉजी में से एक है। बता दें कि डॉ. साबू ने यह रिसर्च श्वेता साबू और डॉ. हेमंत शर्मा के साथ किया।

इस रिसर्च से शवासन का प्रभाव ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और नींद पर देखा गया। रिसर्च में यह भी पाया गया कि नियमित शवासन करने वाले डायबिटीज के रोगियों में शुगर एवं ब्लड प्रेशर की अनियमितता कम होती है। इसके साथ ही नींद की गुणवत्ता में भी सुधार होता है।

मधुमेह एक ऐसा विकार है, जो काफी हद तक तनाव से प्रभावित होता है। यही मनोवैज्ञानिक तनाव शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को प्रभावित करता है। जबकि तनाव का प्रतिकूल प्रभाव डायबिटीज और ब्लड प्रेशर को असामान्य करके अन्य दुष्प्रभावों को जन्म देता है। कोविड-19 ने कई लोगों के लिए मनोवैज्ञानिक तनाव का स्तर बढ़ा दिया है। इसकी वजह सामान्य गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया जाना है।

चिंता और अवसाद जैसे मनोवैज्ञानिक खतरों का कारण अनिद्रा, ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर के मूल्यों में उतार-चढ़ाव से जुड़े हैं। ज़्यादातर लोग आज अनिद्रा से जूझ रहे हैं। इसका कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी भी देखी गयी है। डॉ. साबू ने अपनी रिसर्च में पाया गया कि नियमित शवासन का अभ्यास करने पर आधे से ज़्यादा मरीज़ों में ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर में फायदा हुआ है। जबकि 70 प्रतिशत से ज़्यादा लोगों में दूसरे ग्रुप की अपेक्षा अनिद्रा का स्तर कम देखा गया।

शवासन आधारित तनाव कम करने की तकनीक तनाव को कम करने और बेहतर नींद और रक्त शर्करा और रक्तचाप के मूल्यों में कम उतार-चढ़ाव के परिणाम स्वरूप फायदेमंद होती है। इस प्रकार की तनाव काम करने वाली तकनीकों पर ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि वे दिन-प्रतिदिन के तनाव को कम करने और इसके परिणाम स्वरूप होने वाले प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में एक उपयोगी उपकरण साबित हो सकती हैं।

इसके अलावा, नींद की गुणवत्ता और नींद के पैटर्न में सुधार बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और अनिद्रा के कारण शरीर पर पड़ने वाले तनाव और उसके कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता पर होने वाले प्रतिकूल परिणाम को कम कर सकता है। इस रिसर्च की इन्हीं परिणामों के कारण इसे यूरोपियन सोसायटी ऑफ एंडोक्रिनोलॉजी की अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में टॉप 20 रिसर्च पेपर में जगह दी गयी है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, विभिन्न तनाव कम करने की तकनीकों के साथ-साथ शवासन जैसी क्रियाओं पर और अधिक अध्ययन किए जाने की जरूरत है ताकि यह देखा जा सके कि इन सबसे बेहतर स्वास्थ्य की ओर कैसे बांधा जा सकता है? ये तकनीक एक योगात्मक उपचार के रूप में कार्य कर सकती है। साथ ही दवाइयों के बोझ और प्रतिकूल परिणामों को कम कर सकती हैं।

बता दें कि डॉक्टर भरत साबू की पिछली शोध को भी पिछले वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर रिसर्च सोसायटी फॉर स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया द्वारा प्रथम पुरस्कार दिया गया था।