नई दिल्ली: पिछले कई महीनों से केंद्र सरकार के नये कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसान दोनों अपने रुख पर अड़े हुए है। कृषि कानूनों को लेकर हुई आज की बैठक में सरकार ने साफ़ कर दिया है कि वे इन कानूनों को वापिस नहीं लेंगी, वही किसान अपनी मांग में सरकार से कृषि कानूनों को वापिस लेने की बात पर अड़े हुए है। कृषि कानूनों के इस मुद्दे पर आज को किसानो और सरकार के बीच 8वें दौर की बैठक संपन्न हुई, और आज की ये बैठक भी बेनतीजा बताई जा रही है।
आज की बैठक में कोई रास्ता न निकलते देख सरकार ने यह फैसला आप सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ने की बात कही है। न तो किसान मानने को तैयार है और न ही सरकार दोनों अपनी बातों पर अड़े हुए जिस कारण इस मुद्दे का कोई हल नहीं निकल रहा है। मिली जानकारी के अनुसार सरकार और किसान नेताओं के बीच अब अगली बैठक 15 जनवरी को होगी।
शुक्रवार याने की आज की बैठक में किसान नेता ह्नान मुला ने इस कानून के वापसी लेने की बात सरकार से कहते हुए कहा कि हम और कुछ नहीं चाहते है और न ही हम कोर्ट जायेंगे। इसके जवाब में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और हम सब इस देश के नागरिक है और हमारे देश के लोकतंत्र में राज्य सभा और लोकसभा से कोई कानून पास होता तो उसका विश्लेषण करने का अधिकार सुप्रीम कोर्ट का है।
कृषि मंत्री ने बैठक में सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि यदि किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के अलावा कोई विकल्प दें तो हम इस पर विचार करेंगे और यदि कोई विकल्प प्रस्तुत नहीं हो सकता तो अगली बैठक को 15 जनवरी को आयोजित करने का निर्णय लिया।